Supreme Court News: बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे के बयान पर बवाल मचा हुआ है। इस मामले में एक याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि बीजेपी सांसद के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने के लिए उसकी मंजूरी की जरूरत नहीं है, बल्कि इसके लिए अटॉर्नी जनरल की इजाजत लेनी होगी।

याचिकाकर्ता के वकील ने दुबे की टिप्पणियों के बारे में हाल ही में आई एक समाचार रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि वह अदालत की अनुमति से अवमानना ​​याचिका दायर करना चाहते हैं। जस्टिस गवई ने कहा, ‘आप इसे दाखिल करें। दाखिल करने के लिए आपको हमारी इजाजत की जरूरत नहीं है।’ आपको अटॉर्नी जनरल से मंजूरी लेनी होगी। बार एंड बेंच के मुताबिक, कोर्ट की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 के अनुसार, कोई निजी व्यक्ति अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की मंजूरी मिलने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट की अवमानना ​​याचिका दायर कर सकता है।

वकीलों ने एजी को लिखा पत्र

दुबे ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट को कानून बनाना है तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने सीजेआई खन्ना पर भी कटाक्ष किया और उन्हें देश में गृह युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराया। उनके इस बयान के बाद कुछ वकीलों ने एजी को पत्र लिखकर अवमानना ​​याचिका दायर करने की इजाजत मांगी थी। पत्र में कहा गया है, ‘मैं न्यायालय की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 की धारा 15(1)(बी) के तहत यह पत्र लिख रहा हूं, ताकि झारखंड के गोड्डा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सदस्य निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने के लिए आपकी सहमति मांगी जा सके, क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से जो बयान दिए हैं, वे बेहद निंदनीय, भ्रामक हैं और जिनका उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट की गरिमा और अधिकार को कम करना है।’

निशिकांत दुबे पर होगा एक्शन? 

बीजेपी ने दुबे के बयान से किया किनारा

भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट पर दिए गए बयान से खुद को अलग कर लिया। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका एवं देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना–देना नहीं है। यह इनका व्यक्तिगत बयान है, लेकिन भाजपा ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफाक रखती है और न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है। भाजपा इन बयान को सिरे से खारिज करती है।’

जेपी नड्डा ने आगे कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी ने सदैव ही न्यायपालिका का सम्मान किया है, उनके आदेशों और सुझावों को सहर्ष स्वीकार किया है क्योंकि एक पार्टी के नाते हमारा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय सहित देश की सभी अदालतें हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं तथा संविधान के संरक्षण का मजबूत आधारस्तंभ हैं। मैंने इन दोनों को और सभी को ऐसे बयान ना देने के लिए निर्देशित किया है।’ कौन हैं बीजेपी के निशिकांत दुबे जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दे डाली?