Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के मामले में पंजाब सरकार को फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार के अधिकारी और कुछ किसान नेता मीडिया में यह गलत धारणा फैला रहे हैं कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन खत्म कराने की कोशिश की जा रही है।
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने के उसके आदेश को यह नहीं समझा जाना चाहिए कि यह उनका अनशन तुड़वाने के इरादे से दिया गया है। बता दें, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को लेकर चल रहे किसान विरोध प्रदर्शन के तहत डल्लेवाल अनशन पर हैं।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने कहा कि डल्लेवाल को इस बात से चिंतित होने की जरूरत नहीं है कि अगर उन्हें चिकित्सा सहायता मिल जाए तो किसानों का विरोध कमजोर हो जाएगा। कोर्ट ने मीडिया रिपोर्टों और पंजाब सरकार की कार्रवाई या निष्क्रियता की भी आलोचना की, जिससे यह धारणा बनी कि डल्लेवाल को ऐसी चिकित्सा सहायता प्रदान करने का उपयोग चल रहे विरोध प्रदर्शनों को तोड़ने के लिए किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आपके राज्य (पंजाब) के सरकारी अधिकारियों द्वारा मीडिया में जानबूझकर यह धारणा बनाने का प्रयास किया जा रहा है कि कोर्ट उन पर (डल्लेवाल) अनशन तोड़ने के लिए दबाव डाल रहा है। हमारे निर्देश उनका अनशन तोड़ने के नहीं थे। हमने सिर्फ इतना कहा कि उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए और फिर उनका अनशन जारी रह सकता है। अस्पताल में भर्ती होने का मतलब यह नहीं है कि अनशन टूट गया है। हमारी चिंता उनके जीवन को कोई नुकसान नहीं पहुंचाना है। एक किसान नेता के रूप में उनका जीवन अनमोल है। वह किसी भी राजनीतिक विचारधारा से जुड़े नहीं हैं, वह केवल किसानों का मुद्दा उठा रहे हैं।
पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए महाधिवक्ता (एजी) गुरमिंदर सिंह ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि संबंधित हितधारकों के साथ एक समिति गठित की गई है और राज्य यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि डल्लेवाल को आवश्यक सहायता मिले।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि (राज्य) कोई पक्ष नहीं ले रहा है। मुद्दा यह है कि हमने उन्हें चिकित्सा सहायता लेने के लिए मनाने की कोशिश की है। लोग मौके पर हैं। उनका दृढ़ मत है, जिसे मध्यस्थों, मीडिया को भी बताया गया है… कि वह कुछ हस्तक्षेप (किसानों की मांगों के संबंध में संबंधित सरकार के साथ बातचीत) के अधीन चिकित्सा सहायता स्वीकार करेंगे। हालांकि, जस्टिस कांत ने राज्य से सवाल किया कि क्या उसने सही ढंग से यह संदेश दिया है कि वह किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए तैयार है।
जज ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या आपने कभी उनसे कहा है कि इस उद्देश्य के लिए ही एक समिति बनाई गई थी? हमें बातें कहने पर मजबूर न करें.. आपका रवैया यह है कि कोई समझौता नहीं होना चाहिए। यही समस्या है… कुछ लोग गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं और हम उनके इरादे जानते हैं। कुछ किसान नेता हैं जो ऐसा कर रहे हैं। दल्लेवाल के लिए उनकी क्या मंशा है , इस पर भी गौर किया जाना चाहिए।
अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से अनुरोध करते हुए कहा कि हमारे अधिकारी वहां मौजूद हैं। हमें कुछ उचित समय दीजिए। हम सकारात्मक स्थिति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी। पीठ ने कहा कि हम सोमवार को मुख्य सचिव द्वारा अनुपालन का हलफनामा भी देखेंगे।
कोर्ट पंजाब राज्य के मुख्य सचिव के खिलाफ शीर्ष अदालत के 20 दिसंबर के आदेश का पालन नहीं करने के लिए दायर अदालत की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें राज्य को अनशन कर रहे किसान नेता को अस्पताल जाने के लिए मनाने के लिए कहा गया था। बाद में कोर्ट को बताया गया कि डल्लेवाल ने उन्हें चिकित्सा सहायता देने के प्रयासों को इस चिंता के कारण अस्वीकार कर दिया था कि इससे किसानों का आंदोलन कमजोर हो सकता है।
28 दिसंबर की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि अन्य किसान नेता डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता देने के प्रयासों को रोकने के लिए निगरानी रख रहे हैं। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि राज्य सरकार असहाय है। पीठ ने उस समय जवाब दिया था कि यदि राज्य मशीनरी कहती है कि आप असहाय हैं, तो क्या आप जानते हैं कि इसका क्या नतीजा होगा? कोर्ट ने यह नहीं कह रहा है कि अवांछित बल का प्रयोग करें।”
जब 31 दिसंबर, 2024 को मामले की अंतिम सुनवाई हुई थी, तो राज्य ने संकेत दिया था कि यदि केंद्र सरकार प्रदर्शनकारी किसानों से बात करने के लिए तत्परता दिखाती है तो डल्लेवाल चिकित्सा सहायता स्वीकार करने पर सहमत हो सकता है। चूंकि गतिरोध अभी तक हल नहीं हुआ है, इसलिए कोर्ट ने आज कहा कि अनशनकारी नेता को यह बताने का प्रयास किया जाए कि चिकित्सा सहायता प्राप्त होने का फायदा विरोध प्रदर्शन को कमजोर करने के लिए नहीं उठाया जाएगा।
कोर्ट ने आज कहा कि एक बार डल्लेवाल के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए तो वह चिकित्सकीय सहायता के साथ अपना अनशन जारी रख सकते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनका जीवन खतरे में नहीं है। इसके बाद सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
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