अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को फर्जी पासपोर्ट मामले में लखनऊ की विशेष सीबीआई कोर्ट ने 3 साल की सजा सुनाई है। अबू सलेम मुंबई की तलोजा जेल में बंद है और कोर्ट की कार्यवाही के दौरान वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुआ। इस मामले में अबू सलेम के अलावा परवेज आलम को भी सजा सुनाई गई है। सीबीआई ने इस मामले में 2009 में चार्जशीट दाखिल की थी।

क्या है मामला?

अबू सलेम पर आरोप है कि उसने 1993 में परवेज आलम और समीरा जुमानी के साथ मिलकर लखनऊ पासपोर्ट ऑफिस में अकील अहमद काजमी के नाम से पासपोर्ट बनाने के लिए आवेदन किया था। इसके बाद यह पासपोर्ट भी बन गया और इसका इस्तेमाल भी अबू सलेम ने किया। फर्जी आईडी के जरिए अबू सलेम ने पासपोर्ट बनवाया था। जो दस्तावेज अबू सलेम की ओर से दिए गए थे, वह सब फर्जी थे।

इसके साथ ही अबू सलेम ने अपनी कथित पत्नी समीरा जुमानी का भी फर्जी पासपोर्ट बनवाया था। 6 जुलाई 1993 को दोनों ने पासपोर्ट प्राप्त किया था। इसी मामले में अब सीबीआई की विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट समृद्धि मिश्रा ने अबू सलेम और परवेज आलम को फर्जी पासपोर्ट के मामले में तीन-तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई है।

बता दें कि इस मामले की अंतिम बहस 13 सितंबर को लखनऊ की विशेष सीबीआई कोर्ट में हुई थी। मुंबई की तलोजा जेल से महाराष्ट्र पुलिस की कड़ी सुरक्षा में अबू सलेम को लखनऊ लाया गया था और मामले की अंतिम बहस की गई थी। इस बहस के बाद सीबीआई की विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट समृद्धि मिश्रा ने सजा के लिए 27 सितंबर की तारीख तय की थी।

पुर्तगाल से अक्टूबर 2002 में अबू सलेम को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद प्रत्यर्पण संधि के कारण उसे 25 वर्ष बाद जेल से रिहा किया जाना था। लेकिन अब फर्जी पासपोर्ट मामले में उसे 3 वर्ष की सजा सुना दी गई है।

बता दें कि अबू सलेम आजमगढ़ जिले के सरायमीर गांव का रहने वाला है। उसके पिता वकील थे और बचपन में ही उनकी मृत्यु हो गई थी। अबू सलेम ने शुरू में अपनी जीविका चलाने के लिए मैकेनिक का काम किया, लेकिन बीच में ही पढ़ाई छोड़ कर मुंबई चला आया था। इसके बाद उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा। सलेम 1993 में मुंबई ब्लास्ट का दोषी भी है।