सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली मेट्रो में महिलाओं के फ्री सफर से दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) एक घाटे वाला संगठन बन जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल सरकार से कहा कि महिलाओं को मुफ्त सवारी देने का दिल्ली सरकार का प्रस्ताव डीएमआरसी के लिए लाभकारी नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने पूछा कि दिल्ली सरकार इतनी मेहरबानी क्यों कर रही है और इसका खर्चा कौन उठाएगा?

कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि सरकार को जनता के पैसों का समुचित उपयोग करना चाहिए न कि मुफ्त में रियायतें देनी चाहिए। दिल्ली सरकार डीएमआरसी की वित्तीय हालात को बेहतर बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है ऐसे में वह कोई भी ऐसा फैसला न ले जिससे वित्तीय घाटा हो।

जस्टिस अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता की पीठ ने केजरीवाल सरकार को यह भी निर्देश दिया कि दिल्ली मेट्रो परियोजना के 103.94 किलोमीटर लंबे चौथे चरण में परिचालन घाटा दिल्ली सरकार द्वारा वहन किया जाए। पीठ ने संबंधित अथॉरिटीज से कहा कि चौथे चरण के प्रोजेक्ट में देरी न हो। मालूम हो कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले केजरीवाल सरकार ने मेट्रो और बसों में दिल्ली की महिलाओं को मुफ्त सफर कराने की योजना का ऐलान किया है।

कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को जमीन अधिग्रहण के लिए 2,447.19 करोड़ रुपए उपलब्ध कराने के लिए भी कहा। इसके लिए एक हफ्ते की समयसीमा निर्धारित की गई है। शीर्ष अदालत ने यह बात वकील एम सी मेहता की एक याचिका के जवाब में कहा कि सरकार को मुफ्त बांटने की आदत छोड़नी चाहिए। इस याचिका में मेट्रो के चौथे चरण के विस्तार में आ रही अड़चनों का जिक्र किया गया था। केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच मेट्रो के चौथे चरण की फंडिग को लेकर विवाद है।