दिवाली पर पटाखों पर दिल्ली में बैन लगाया गया था, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली-एनसीआर में किसी तरह के पटाखे फोड़ने की इजाजत नहीं थी। लेकिन आज दिवाली वाले दिन सारे नियम हवा-हवाई हो गए हैं, कोई बैन जमीन पर असर डालता नहीं दिख रहा। बात चाहे दिल्ली की हो, नोएडा की हो या फिर गाजियाबाद की, दनादन पटाखे फोड़े जा रहे हैं, हवा में धुंआ घुल चुका है।
दिल्ली में दिखने लगा पटाखों का असर
इसका सबसे बड़ा प्रमाण तो यह है कि राजधानी दिल्ली में दिवाली वाले दिन प्रदूषण बेहद खराब वाली श्रेणी में जा पहुंचा है। आरके पुरम, ओखला, जहांगीरपुरी, पूसा, नेहरू नगर और पटपड़गंज जैसे इलाकों में पटाखे फोड़ने के कुछ घंटे बाद ही पीएम 2,5 की सांद्रता में चिंताजनक बढ़ोतरी देखी गई है। इसी तरह कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में जा चुका है, आशंका जाहिर की गई है कि शुक्रवार सुबह तक हालात और बिगड़ सकते हैं। अभी तक के जो आंकड़े सामने आए हैं, उनसे पता चलता है कि दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में हवा 15 गुना तक ज्यादा खराब हो चुकी है।
गाजियाबाद में जमकर हुई आतिशबाजी
गाजियाबाद की बात करें तो यहां रात 8 बजे के बाद से लगातार पटाखों की गड़गड़ाहट सुनने को मिल रही है। आतिशबाजी से पूरा आसमान पट चुका है। कोई भी इलाको देख लें, धुएं की एक मोटी चादर आसमान को ढक चुकी है। गाजियाबाद के नेहरू नगर इलाके में बैन का कोई असर देखने को नहीं मिला है। लोग लड़ियों से लेकर सुतली बम तक, रॉकेट से लेकर अनार तक, सबकुछ धड़ल्ले से जला रहे हैं। यह हालत तब है जब सुप्रीम कोर्ट का आदेश दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर के लिए भी लागू होना था।
बैन लगाना कितना सही?
अब नियमों की अनदेखी जरूर हो रही है, लेकिन कोई एक्शन होता नहीं दिख रहा। ऐसा ही हाल पिछले साल भी देखने को मिला था जब बैन के बावजूद लोगों ने दिवाली पर जमकर पटाखे फोड़े थे। इसी तरह के ट्रेंड को देखते ही समाज का एक वर्ग मानकर चलता है कि दिवाली के समय पटाखों पर बैन लगाने का कोई मतलब नहीं है। दावा तो यहां तक होता है कि सिर्फ पटाखों की वजह से प्रदूषण नहीं बढ़ता है बल्कि असल कारण तो कुछ और ही रहते हैं।