विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा कि पिछले कुछ समय में डिजिटल विश्वविद्यालय का खाका तैयार करने पर विभिन्न पक्षों की ओर से काफी चर्चा हुई जिसकी शुरुआत अगले साल जुलाई से होगी। कुमार ने कहा कि शुरुआत में कौशल विकास आधारित ज्यादा से ज्यादा पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना है और मुख्य जोर इस बात पर है कि विद्यार्थियों को कौशल आधारित प्रशिक्षण मिले और पाठ्यक्रम रोजगारोन्मुखी हों।

यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि डिजिटल विश्वविद्यालय के माध्यम से विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई करना काफी सरल होगा। उन्होंने कहा कि मिसाल के तौर पर अगर कोई पाठ्यक्रम चार साल का है और विद्यार्थी उसे कम समय में पूरा करने में सक्षम है, तब उस विद्यार्थी को कम अवधि में पाठ्यक्रम पूरा करने की अनुमति देंगे। इसी तरह से अगर कोई विद्यार्थी चार साल के पाठ्यक्रम को पांच साल में करना चाहता है, तो वह डिजिटल विश्वविद्यालय के माध्यम से उस पाठ्यक्रम को पांच साल में पूरा कर सकेगा।

कुमार ने कहा कि जुलाई 2023 से डिजिटल विश्वविद्यालय के माध्यम से कुछ पाठ्यक्रम शुरू होंगे जिस पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि अब यूजीसी ने विद्यार्थियों को एक साथ दो डिग्री पूरी करने की अनुमति दे दी है और यदि बहुविषयक शिक्षा के तहत किसी विद्यार्थी ने एक डिग्री कालेज में मौजूद रहकर पूरी की होगी तब वह डिजिटल विश्वविद्यालय में दूसरी डिग्री आनलाइन माध्यम से कर सकेगा।

यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि डिजिटल विश्वविद्यालय की पहल से सभी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयू) जुड़ेंगे। उन्होंने बताया कि इसमें विद्यार्थियों को बहु प्रवेश और निकास जैसे विकल्प मिलेंगे और अकादमिक ‘बैंक आफ क्रेडिट’ सुविधा भी उपलब्ध रहेगी।

अकादमिक ‘बैंक आफ क्रेडिट’ एक ‘वर्चुअल स्टोर-हाउस’ है, जो हर विद्यार्थी के डेटा का रिकार्ड रखेगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल के शिक्षा मंत्रालय से संबंधित मासिक नोट के मुताबिक, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, दिल्ली विश्वविद्यालय, आइआइटी मद्रास के प्रतिनिधियों की अगस्त के अंतिम सप्ताह में डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना के विषय पर एक बैठक हुई थी।