राम जन्म भूमि ट्रस्ट के लिए जमीन का विवाद जी का जंजाल बनता जा रहा है। इस मामले में जितनी सफाई दी जा रही है, मामला उतना ही संदिग्ध होता जा रहा है। कभी कहा जाता है कि दस मिनट में रजिस्ट्री और लेनदेन हो गया तो कभी कहा जाता है दस साल पहले से सौदेबाजी हो रही थी। अब नया खुलासा यह है कि जिस गांव में ट्रस्ट ने दो करोड़ की जमीन 18 करोड़ पचास लाख में खरीदी है, उसी गांव में दस दिन पहले खरीदी गई दूसरी जमीन एक करोड़ 90 लाख हो गई। खास बात यह है कि दोनों ही सौदों की रजिस्ट्री में गवाह एक ही व्यक्ति रवि मोहन तिवारी हैं।
बताया जा रहा है कि इस साल मार्च में जिस 12080 वर्ग मीटर जमीन को सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने 18 करोड़ 50 लाख रुपए में खरीदी थी और जिसकी कीमत 5 करोड़ 80 लाख रुपए थी, उसी के पास अभी हाल ही में 7 जून को एक अन्य जमीन का सौदा हुआ। यह जमीन 3040 वर्ग मीटर है और यह एक करोड़ 90 लाख रुपए में बेची गई। इसकी कीमत भी इतनी ही आंकी गई है। इसका मतलब हुआ कि यह सर्किल रेट पर ही बिकी है।
दोनों जमीन के सौदे की रजिस्ट्री में गवाह रवि मोहन तिवारी हैं। इस मामले पर हिसाब-किताब लगाने पर 3040 वर्ग मीटर की यह जमीन 6250 रुपए प्रति वर्ग मीटर की पड़ती है। लेकिन 18 मार्च को जिस जमीन को ट्रस्ट ने खरीदी है वह जमीन 15314 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से पड़ रही है। इससे मामले को लेकर राजनीति बढ़ती जा रही है।
इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह और विपक्ष के दूसरे नेता भाजपा, ट्रस्ट और मंदिर से जुड़े अन्य लोगों पर लगातार हमले कर रहे हैं। इसके पहले ट्रस्ट ने जमीन से जुड़े सभी दस्तावेज सार्वजनिक करते हुए पूरे सौदे को पारदर्शी तरीके से होने का दावा करता रहा है।
मंदिर निर्माण और ट्रस्ट से जुड़े लोगों का कहना है कि विपक्ष बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित होकर आरोप लगा रहा है। उन्होंने इस सौदे में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार के आरोप को बिल्कुल गलत और झूठा बताया है।
