नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने धौलाकु आं इलाके में 2010 में पूर्वोत्तर की एक बीपीओ कर्मी के साथ सामूहिक बलात्कार मामले में मंगलवार को सभी पांच आरोपियों को दोषी ठहराया और कहा कि डीएनए रिपोर्ट से साबित होता है कि आरोपियों ने महिला के साथ बलात्कार किया था। अदालत ने पीड़िता की गवाही पर भी भरोसा किया। पीड़िता ने दो आरोपियों की पहचान की थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार भट्ट ने उस्मान उर्फ काले, शमशाद उर्फ खुटकन, शाहिद उर्फ छोटा बिल्ली, इकबाल उर्फ बड़ा बिल्ली और कमरुद्दीन उर्फ मोबाइल को दोषी ठहराया। अदालत अभियुक्तों को सजा सुनाने के लिए 17 अक्तूबर को दलीलों की सुनवाई करेगी।
अदालत ने कहा कि डीएनए सहित साक्ष्यों से साबित हो गया है कि पीड़िता का अपहरण किया गया था और एक चलती गाड़ी में व एक निर्जन स्थान पर सामूहिक बलात्कार किया गया था। आरोपियों को दोषी ठहराते हुए अदालत ने गौर किया कि बीपीओ कर्मी ने किसी भी मौके पर गलती नहीं की और जिरह के दौरान अपने रुख पर कायम रही। पीड़िता ने कहा था कि उसने जांच पहचान परेड के दौरान दो आरोपियों उस्मान और शमशाद की सही पहचान की।
अदालत ने कहा कि अभियोजन सभी पांच आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत अपहरण, सामूहिक बलात्कार, आपराधिक भयादोहन और साझा इरादा के तहत लगाए गए आरोपों को साबित करने में कामयाब रहा। न्यायाधीश ने 131 पृष्ठों के अपने फैसले में कहा कि सभी पांच आरोपयिों का अपराध में दोषी ठहराया जाता है।
अदालत ने फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की रिपोर्ट पर भी भरोसा किया जिसने डीएनए परीक्षण किया था। अदालत ने कहा कि डीएनए रिपोर्ट से साफ परिलक्षित होता है कि महिला के साथ इन पांच आरोपियों ने दुष्कर्म किया था। अदालत ने आरोपी उस्मान के इस बचाव को खारिज कर दिया कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ हुई है। अदालत ने कहा कि डॉक्टरों ने आरोपियों के नमूने उचित तरीके से लिए थे और इसमें नमूनों के साथ छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है। करीब चार साल की सुनवाई में कुल 67 गवाहों से पूछताछ की गई। इस मामले के बाद दिल्ली पुलिस ने दिल्ली एनसीआर में सभी बीपीओ को निर्देश दिया था कि महिला कर्मियों को उनके घर तक सुरक्षित पहुंचाया जाए और रात में उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जाए। यह घटना 23-24 नवंबर, 2010 की रात की है जब महिला अपनी ड्यूटी के बाद घर लौट रही थी।