Devendra Fadnavis Maharashtra CM: देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री बन सकते हैं, इसके साथ-साथ एकनाथ शिंदे और अजित पवार को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। अभी तक बीजेपी की तरफ से इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन खबर है कि तीनों ही नामों पर मुहर लग गई है, कुछ ही देर में इसका ऐलान भी कर दिया जाएगा। अब एक सवाल सभी के मन में आ रहा है, आखिर कैसे देवेंद्र फडणवीस इस महाराष्ट्र की सीएम रेस में आगे निकले? यहां आपको पांच बड़े कारण बताते हैं-

1. देवेंद्र फडणवीस संघ के सबसे करीबी

यब बात किसी से नहीं छिपी है कि महाराष्ट्र में महायुति को जो अप्रत्याशित जीत मिली है, उसमें संघ का भी अहम हाथ है। ऐसी खबर पहले ही आ गई थी कि विपक्ष के संविधान बचाओ नेरेटिव को खत्म करने के लिए RSS को जमीन पर अपने प्रचार को तेज करना था। अब उसने ऐसा किया भी और नतीजा सभी के सामने है। अब देवेंद्र फडणवीस वो नेता हैं जिन्होंने हर बार संघ पर भरोसा जताया है। जब लोकसभा चुनाव के बाद संघ और बीजेपी में नोक-झोंक बढ़ भी गई थी, फडणवीस ने ना आरएसएस पर कोई हमला किया और ना ही उनकी तरफ से कोई टीका-टिप्पणी हुई।

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फडणवीस के नाम पर लगी मुहर

ऐसे में अब संघ के लिए तो सीएम पद की पहली पसंद देवेंद्र फडणवीस ही रहने वाले हैं। समझने वाली बात यह है कि संघ क्योंकि खुद को सक्रिय राजनीति से दूर रखता है, ऐसे में वो खुले तौर पर तो अपनी राय नहीं रखने वाला है, लेकिन माना जा रहा है कि फडणवीस को आगे बढ़ाने में उनका बड़ा योगदान है।

2. मुश्किल समय में बीजेपी को एकजुट रखने का क्रेडिट

2019 के विधानसभा चुनाव के बाद देवेंद्र फडणवीस के लिए कई चुनौतियां खड़ी हो गई थीं। बहुमत तो उनके गठबंधन को मिला, लेकिन उद्धव ठाकरे के अलग होने की वजह से सरकार महा विकास अघाड़ी की बन गई। ऐसा कहा गया था कि उस सियासी हलचल की वजह से बीजेपी में भी दो फाड़ हो सकती है, एनसीपी-शिवसेना की तरह वहां भी कई नेता बागी हो सकते हैं। लेकिन देवेंद्र फडणवीस की कार्यशैली और संगठन पर मजबूत पकड़ वो स्थिति कभी बनने नहीं दी। पूरी पार्टी महाराष्ट्र में एकजुट ही दिखाई दी, ऐसे में अब उन्हें सियासी इनाम मिलना लाजिमी है।

3. फडणवीस के पास सरकार चलाने का अनुभव

बीजेपी का सीएम चुनने का फॉर्मूला एकदम क्लियर है- या तो वो सरप्राइज देते हुए किसी नए चेहरे पर दांव चल देती है या फिर उन्हें ही मौका देती है जिनके पास पर्याप्त अनुभव रहता है। अब दूसरी कैटेगरी में फडणवीस एकदम फिट बैठते हैं, उनके पास सरकार चलाने का पूरा पांच साल का अनुभव है। इसके ऊपर माना जाता है कि प्रशासनिक कार्यों में भी उनकी पकड़ जबरदस्त रहती है, ऐसे में महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में स्थिरता बनाए रखने के लिए बीजेपी देवेंद्र फडणवीस को ही आगे करने वाली है।

4. नहीं दोहराना था बिहार, ना नीतीश जैसी निर्भरता

महाराष्ट्र के इस बार के नतीजे ही इस बात की तस्दीक करते हैं कि देवेंद्र फडणवीस को राज्य का मुख्यमंत्री बनना चाहिए। असल में इस बार के चुनाव में बीजेपी ने अपने दम पर 132 सीटें जीती हैं, उसका स्ट्राइक रेट 80% से ज्यादा है। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है, ऐसे में हर कीमत पर बीजेपी अब ‘बड़े भाई’ की भूमिका में आना चाहेगी। बिहार में तो कई बार जेडीयू से बेहतर प्रदर्शन करने के बाद भी नीतीश कुमार को ही सीएम बनना पड़ता है, इसके ऊपर ‘बड़े भाई’ का टैग भी जेडीयू के पास ही रहता है। बीजेपी मानती है कि महाराष्ट्र में अब इस स्थिति को बदलने का समय आ गया है, ऐसे में बड़ी जीत के बाद फडणीस को सीएम बनाने से कई संदेश दिए जा सकते हैं।

5. अजित पवार के समर्थन से संभावित संकट टल गया

महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों के बाद ऐसा कहा गया था कि सीएम रेस की वजह से महायुति में बिखराव हो सकता है। लेकिन हैरानी इस बात की रही कि एनसीपी ने सामने से आकर देवेंद्र फडणीस के नाम पर समर्थन जता दिया। पार्टी नेताओं का साफ कहना रहा कि बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटें जीती हैं, ऐसे में अगर देवेंद्र फडणवीस के नाम को आगे किया जाता है तो उससे एनसीपी को कोई आपत्ति नहीं होने वाली। यह बड़ी बात है और इस समर्थन से किसी भी तरह के संभावित संकट से लड़ने की ताकत भी मिलती है।

वैसे महाराष्ट्र चुनाव का एक ट्रेंड और काफी चर्चा में चल रहा है। चुनाव नतीजों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि महाराष्ट्र में 38 ऐसी विधानसभा सीटें, जहां पर मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 20% से ज्यादा है वहां इस बार बीजेपी के द्वारा जीती गई सीटों का आंकड़ा बढ़ा है। खबर पूरी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें