महेश केजरीवाल

करीब 45 साल पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आए विनाशकारी बाढ़ की 2023 में पुनरावृत्ति ने बेहतर जल निकासी प्रणालियों और बाढ़ प्रबंधन रणनीतियों की तैयारियों पर कई सवाल खड़े किए है। अतीत से सबक नहीं लेने के कारण यमुना के कई निचले इलाके सहित कई अन्य क्षेत्र जलमग्न हो गए और हजारों लोग बेघर हो गए। बाढ़ से घरों, सड़कों और सार्वजनिक उपयोगिताओं को व्यापक नुकसान हुआ।

दिल्ली में बार-बार बाढ़ की विभीषिका हमारी व्यापक बाढ़ प्रबंधन रणनीतियों की आवश्यकता को उजागर करती है। सेवानिवृत नगर योजनकार (डीडीए) आरजी गुप्ता ने बताया कि दिल्ली में बाढ़ को देखते हुए 1980 में यमुना नदी को लेकर योजना तैयार की थी। इसके तहत यमुना से जुड़े नाले से गिरने वाले गंदे पानी की निकासी को लेकर अलग-अलग कंक्रीट का बिंदु बनाने का सुझाव दिया था।

इस योजना के तहत यमुना में गिरने वाले गंदे पानी की निकासी वजीराबाद, ओखला होते हुए बदरपुर बार्डर से की निकासी की जानी थी। उन्होंने कहा कि यदि यह योजना कारगर होती तो दिल्ली बार-बार नहीं डूबती। उन्होंने आगे कहा कि बाढ़ को लेकर सरकार की आलोचना करना ठीक नही है। दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल जगमोहन और संजय गांधी के साथ काम कर रहे चुके गुप्ता आगे कहते है कि उनके समय कई योजनाओं पर काम किया गया था।

उनका मानना है कि किसी भी योजना का अधिकारियों द्वारा समय रहते क्रियान्वयन न किया जाना बड़ी लापरवाही है। उन्होंने इस बात को लेकर दुख व्यक्त किया कि लोग अब काम नहीं करना चाहते। जलपुरुष और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित राजेंद्र सिंह का कहना है कि बाढ़ को प्राकृतिक आपदा मान लेना गलत है यह मानव निर्मित आपदा है।

समाधान भी राजनीतिक स्तर पर होना है

मनोज कुमार मिश्र : दिल्ली का एक चौथाई हिस्सा करीब हफ्ते भर पानी में डूबा रहा। हर साल बरसात के मौसम में जब हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में पानी ज्यादा बरसता है तब हथिनी कुंड बैराज को खोलना हरियाणा की मजबूरी बन जाता है। वह पानी दिल्ली में बाढ़ ले आता है। वोट की राजनीति में 70 फीसद दिल्ली अवैध बसा दी गई है। सीवर, पीने के पानी, नागरिक सुविधाएं भगवान भरोसे है।

राजनीतिक दलों को समस्या का स्थायी समाधान करने के बजाए अगले चुनाव को जीतने तक का लक्ष्य होता है। इस बार 1978 से भी ज्यादा बाढ़ का कहर था। वर्षों बाद पहली बार पुरानी दिल्ली के आधे हिस्से, सिविल लाइंस से लेकर रिंग रोड आदि कई दिनों तक पानी में डूबे रहे।

भाजपा ने आम आदमी पार्टी (आप) शासित दिल्ली सरकार पर तो कांग्रेस ने दिल्ली और भाजपा की केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ा। आप के नेता संजय सिंह ने कहा कि भाजपा शासित हरियाणा सरकार ने जानबूझकर दिल्ली की आप सरकार को बदनाम करने के लिए हथिनी कुंड बैराज से ज्यादा पानी छोड़ा।

उन्होंने बैराज पर अपने कार्यकर्ता भी भेजे। शायद इस तरह के आरोप प्रत्यारोप पहले कभी नहीं लगे। वोट और नोट की राजनीति में दिल्ली में बड़ी तादात में अनधिकृत कालोनी बसा दी गर्इं। दिल्ली के काफी बड़े इलाके में सीवर या तो डली नहीं है या डली तो पूरे में नहीं डली।