दुनिया के कई देशों के लिए डेंगू का प्रकोप चिंता का बड़ा कारण बन रहा है। हाल ही में सामने आई विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रपट के मुताबिक, डेंगू पूरी दुनिया में कहर बन कर टूट रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अभी तक डेंगू के दोगुने मामले सामने आ चुके हैं। 2023 में डेंगू के 65 लाख मामले सामने आए थे, जबकि इस वर्ष अब तक 1.27 करोड़ मामले आ चुके हैं। भारत सहित कई देशों में अब भी डेंगू का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। डेंगू से इसी वर्ष अभी तक विश्वभर में 8700 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
डब्लूएचओ का मानना है कि दुनिया भर में करीब चार अरब लोगों पर डेंगू का खतरा है। यानी, दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी इसकी चपेट में आ सकती है और डेंगू तथा संबंधित विषाणु का खतरा 2050 तक पांच अरब तक बढ़ जाएगा। अफ्रीका, अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया सहित सौ से ज्यादा देश डेंगू से गंभीर रूप से प्रभावित हैं। डेंगू अब यूरोप, पूर्वी भूमध्यसागरीय तथा अमेरिका के नए क्षेत्रों में भी पांव पसारने लगा है।
शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में डेंगू ज्यादा लोगों को करता है संक्रमित
एक रपट के अनुसार, दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में डेंगू ज्यादा फैलता है। शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में यह बुखार ज्यादा लोगों को संक्रमित करता है। ब्राजील में तो इस साल डेंगू का प्रकोप देखा गया है, जहां इस साल अब तक 95 लाख से भी ज्यादा मामले सामने आए हैं। भारत में भी डेंगू के कारण प्रतिवर्ष सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है। दरअसल, डेंगू अन्य घातक बीमारियों की तरह ऐसी गंभीर बीमारी बन चुका है, जिसके जोखिम को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।
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पिछले साल स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की रपट में बताया गया था कि देश में डेंगू के हर दिन औसतन छह सौ से अधिक मामले सामने आए थे और सभी राज्यों में कुल मामलों की संख्या करीब ढाई लाख थी, लेकिन डेंगू के मामले सभी राज्यों में इस साल रेकार्ड तोड़ रहे हैं। देश भर में प्रतिदिन डेंगू के एक हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। भारत में 1996 में डेंगू के पहले बड़े प्रकोप के बाद से इसका प्रसार 1300 फीसद से ज्यादा बढ़ा है।
यह उन घातक बीमारियों में से एक है, जिसका अगर समय पर उपचार न हो तो जानलेवा हो सकता है। मानसून के साथ डेंगू और चिकनगुनिया फैलाने वाले मच्छरों के पनपने का मौसम शुरू होता है, इसीलिए डेंगू के बढ़ते खतरों को देखते हुए लोगों में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से ही व्यापक जागरूकता अभियान चलाना बेहद जरूरी है। डेंगू फैलाने वाले मच्छर ज्यादा तापमान में जीवित रह सकते हैं और थोड़ी मात्रा में जमा पानी में भी प्रजनन कर सकते हैं।
डेंगू महामारी फैलने के लिए कई कारक जिम्मेदार
डब्लूएचओ का कहना है कि डेंगू महामारी फैलने के बढ़ते खतरे के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें सबसे बड़ा कारण एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छर का बदला स्वरूप है। एंटीबायोटिक के अत्यधिक सेवन से मच्छरों ने भी खुद को दवाइयों के अनुकूल बना लिया है, जिससे मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। डब्लूएचओ के मुताबिक पिछले साल अल-नीनो घटना और जलवायु परिवर्तन से बढ़ते तापमान तथा अधिक बारिश से भी इन मच्छरों की तादाद बढ़ रही है।
पिछले वर्ष भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) बंगलुरु के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया था कि पिछले कुछ दशक में भारत में डेंगू विषाणु का नाटकीय रूप से उभार हुआ है और देश में पाए जाने वाले इसके स्वरूपों के प्रसार को रोकने के लिए टीके विकसित किए जाने की आवश्यकता है। अध्ययन रपट के मुताबिक पांच दशकों में डेंगू के मामलों में खासकर दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में लगातार वृद्धि हुई है। अध्ययनकर्ता वैज्ञानिकों के अनुसार डेंगू के भारतीय स्वरूप के टीके विकसित करने के लिए इस्तेमाल किए गए मूल स्वरूपों से बहुत अलग हैं।
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वैज्ञानिकों के मुताबिक डेंगू वायरस की चार व्यापक श्रेणियां- ‘सीरोटाइप (डेंगू 1, 2, 3 और 4)’ हैं और उन्होंने जांच की कि इनमें से प्रत्येक ‘सीरोटाइप’ अपने पैतृक अनुक्रम से, एक-दूसरे से और अन्य वैश्विक अनुक्रमों से कितना अलग हुआ। अध्ययन के दौरान पाया गया कि अनुक्रम बहुत ही जटिल बनावट में बदल रहे हैं। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार भारत में 2012 तक ‘डेंगू 1 और 3’ प्रमुख स्वरूप थे, लेकिन हाल के वर्षों में ‘डेंगू 2’ समूचे देश में ज्यादा प्रभावी हो गया है, जबकि कभी सबसे कम संक्रामक माना जाने वाला ‘डेंगू 4’ दक्षिण भारत में अपनी जगह बना रहा है।
डेंगू से हुई कई लोगों की मौत का अध्ययन करने के बाद स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि डेंगू अब इतना खतरनाक हो गया है कि कुछ मामलों में यह पीड़ित को इतनी बुरी तरह चपेट में लेता है कि शरीर के अधिकांश अंग कार्य करना बंद कर देते हैं और उसकी मौत हो जाती है। अब ऐसे भी डेंगू के कुछ मरीज सामने आते हैं, जिनमें डेंगू के साथ मलेरिया के भी लक्षण होते हैं। अगर डेंगू और मलेरिया एक साथ हो जाए, तो ऐसे मरीज के फेफड़े, गुर्दे और मस्तिष्क को भी नुकसान पहुंचने की संभावना रहती है और इन दोनों बीमारियों का एक साथ होना कुछ मामलों में प्राणघातक हो सकता है।
डेंगू का प्रभाव गुर्दे, लीवर और आंतों तक
अध्ययनकर्ताओं के अनुसार अब एक सप्ताह के अंदर ही डेंगू का प्रभाव गुर्दे, लीवर और आंतों तक पहुंच जाता है और शरीर के अंग कार्य करना बंद कर देते हैं। दरअसल, अब डेंगू के कई ऐसे रोगी भी अस्पताल पहुंचते हैं, जिनमें बुखार तथा सिरदर्द जैसे लक्षण नहीं होते हैं, उनमें केवल शारीरिक कमजोरी तथा प्लेटलेट्स कम होने के लक्षण ही देखे जाते हैं। केवल थकान और कमजोरी की शिकायत करने वाले ऐसे मरीजों में डेंगू की पहचान करना मुश्किल होता है।
एडीज मच्छर के काटने पर विषाणु संक्रमण श्वेत रक्त कोशिकाओं पर धावा बोलता है, जिससे डेंगू पीड़ित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। प्लेटलेट्स कम होने पर शरीर के अंदरूनी हिस्सों में रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है। इलाज सही मिले तो स्थिति जल्द नियंत्रित हो सकती है। नहीं तो ऐसी स्थिति में रोगी की प्लेटलेट्स बेहद कम हो जाती है। उसका रक्तचाप तेजी से नीचे गिरता है और शरीर के अंदरूनी अंग कार्य करना बंद कर देते हैं, जिससे रोगी की मृत्यु हो सकती है।
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डेंगू के प्रमुख लक्षणों में लगातार बुखार रहने के साथ-साथ सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण देखे जाते हैं। इसके अलावा बुखार के साथ नाक बहना, खांसी, आंखों के पीछे दर्द, त्वचा पर हल्के चकत्ते, भूख कम होना और कमजोरी जैसे लक्षण भी देखे जाते हैं और कुछ लोगों में लाल और सफेद निशानों के साथ पेट खराब होने, जी मिचलाने और उल्टी लगने जैसे लक्षण भी सामने आते हैं। डेंगू के इलाज के लिए कोई दवा, एंटीबायोटिक या टीका उपलब्ध नहीं है। इसलिए इसका इलाज इसके लक्षणों के आधार पर ही किया जाता है। डेंगू से बचाव के लिए स्वच्छता और सजगता पर विशेष जोर दिया जाता है। डेंगू से बचे रहना ही सर्वोत्तम उपाय है।
भारत में डेंगू के कारण प्रतिवर्ष सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है। दरअसल, डेंगू भी अन्य घातक बीमारियों की तरह ऐसी गंभीर बीमारी बन चुका है, जिसके जोखिम को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। पिछले साल स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की रपट में बताया गया था कि देश में डेंगू के हर दिन औसतन छह सौ से अधिक मामले सामने आए थे और सभी राज्यों में कुल मामलों की संख्या करीब ढाई लाख थी, लेकिन डेंगू के मामले सभी राज्यों में इस साल रेकार्ड तोड़ रहे हैं। देश भर में प्रतिदिन डेंगू के एक हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं।
डब्लूएचओ का मानना है कि दुनिया भर में करीब चार अरब लोगों पर डेंगू का खतरा है। यानी, दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी इसकी चपेट में आ सकती है और डेंगू तथा संबंधित विषाणु का खतरा 2050 तक पांच अरब तक बढ़ जाएगा। पढ़ें योगेश कुमार गोयल का आर्टिकल-