Supreme Court Justice Ujjal Bhuyan: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने कई राज्यों में हाल ही में चल रहे बुलडोजर जस्टिस पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने शनिवार को कहा कि आरोपी व्यक्ति की संपत्ति गिराना संविधान पर बुलडोजर चलाने जैसा है। उन्होंने कहा कि राज्य के अधिकारियों द्वारा आरोपी व्यक्तियों के मकानों को बुलडोजर से गिराना और फिर ढांचों को अवैध बताकर कार्रवाई का बचाव करना काफी परेशान करने वाला है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस भुइयां ने कहा, ‘उस घर में ठीक है, हम मानते हैं कि यह व्यक्ति अभियुक्त हो सकता है या वह अपराधी हो सकता है, लेकिन उसकी मां वहां पर रहती है, उसकी बहन वहां रहती है, उसकी पत्नी वहां रहती है, उसके बच्चे वहां रहते हैं। उनका क्या दोष है? यदि आप उस घर को ध्वस्त कर देते हैं, तो वे कहां जाएंगे? उनके सिर के ऊपर से छत छीन लेना सही है, मैं यह जोड़ना चाहूंगा कि केवल वे ही क्यों? अभियुक्त का क्या? अपराधी का क्या? सिर्फ इसलिए कि कोई व्यक्ति किसी अपराध में अभियुक्त है या अपराधी है, इसका मतलब यह नहीं है कि उसका घर ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए।’

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न्यायपालिका में सुधार की गुंजाइश

जस्टिस भुइयां भारती विद्यापीठ न्यू लॉ कॉलेज पुणे में बोल रहे थे। अपने संबोधन में जस्टिस भुइयां ने कहा कि न्यायपालिका में सुधार की गुजाइंश है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन हमें इस बात पर भी आत्मचिंतन करने की जरूरत है कि क्या हम कहीं गलत हो गए हैं। अगर हम ऐसा करेंगे, तभी सुधार संभव होगा और मेरा विश्वास है कि भारतीय न्यायपालिका में सुधार की पर्याप्त गुंजाइश है।’ यह दावा करना काफी नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट दुनिया का सबसे शक्तिशाली कोर्ट है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर भी पुनर्विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है, क्योंकि यह अंतिम न्यायालय है। अगर सुप्रीम कोर्ट से ऊपर कोई अन्य कोर्ट होता, जैसे कि पहले के समय में प्रिवी काउंसिल तो शायद सर्वोच्च न्यायालय के कई फैसलों पर पुनर्विचार करना पड़ता।’ महिला जजों को हटाने पर HC पर भड़का सुप्रीम कोर्ट