Automobile sector slump: हरियाणा के विभिन्न ऑटोमोबाइल फैक्ट्रियों में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले लाखों कर्मचारियों से नियमित आय का साधन छिन गया है। कुछ बड़े कर्मचारी यूनियन के नेताओं ने यह जानकारी दी है। इसकी बड़ी वजह गाड़ियों की डिमांड में आई कमी की वजह से प्रोडक्शन में आई गिरावट को बताया जा रहा है।

सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स (SIAM) के मुताबिक, इस साल अप्रैल से जून के बीच सभी श्रेणियों की गाड़ियों की सेल में 12.35% की गिरावट आई है। यह हालात जुलाई में भी जारी रहे। कई बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों ने बताया कि उनकी घरेलू सेल में 50 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स असोसिएशन (FADA) के मुताबिक, गाड़ियों की सेल में इस सुस्ती की वजह से बीते 3 महीने में करीब 2 लाख लोगों की नौकरियां गई हैं।

नौकरियां जाने के बाद ये कर्मचारी किसी वैकल्पिक आय के स्रोत की तलाश में हैं। इनमें से ही एक भिवानी के रहने वाले 25 साल के कर्मवीर हैं। एक ऑटो कलपुर्जे बनाने वाली कंपनी में एक साल काम करने के बाद मार्च में उनकी नौकरी चली गई थी। उन्होंने बताया, ‘मैं पिछले 6 महीने से कोई दूसरी नौकरी तलाश रहा हूं। मेरा काम इसलिए चल रहा है क्योंकि मेरा भाई गुड़गांव में एक कैब ड्राइवर है और मैं उसी के साथ रहता हूं। अगर मुझे जल्द ही काम नहीं मिला तो मुझे गांव लौटकर खेती में पिता की मदद करनी पड़ सकती है।’

हालांकि, कुछ दूसरे लोग कर्मवीर की तरह किस्मत वाले नहीं, जिन्हें कोई आर्थिक मदद मिल पाई। वे अपने गांवों को लौट गए। ऐसे ही लोगों में जालंधर के रहने वाले जसप्रीत भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘तीन साल पहले एक इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग का कोर्स करने के बाद मुझे एक ऑटोमोबाइल कंपनी में नौकरी मिली थी। तीन महीने पहले मुझे हटा दिया गया। कंपनी ने कहा कि प्रोडक्शन घट गया है और उनके पास मेरे लिए पर्याप्त काम नहीं है।’

कर्मवीर ने बताया, ‘मेरे पास गुड़गांव में रहने के लिए किराया देने को पैसे नहीं थे। इसलिए एक महीने के बाद कोई दूसरी नौकरी न मिलने पर मैं घर वापस लौट आया और गांव पर अपने पिता का जनरल स्टोर चलाने लगा। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही कोई ठीक ठाक काम मुझे मिल जाएगा, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो पाया है।’

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विभिन्न कंपनियों के कर्मचारी यूनियन के नेताओं ने कहा कि कारों की डिमांड में कमी प्रोडक्शन में गिरावट की वजह है। उन्होंने इसके लिए जीएसटी के बढ़े हुए दर और कारों के लिए अनिवार्य 5 साल के इंश्योरेंस को बताया। उनके मुताबिक, इन कारणों से नई कारें कई ग्राहकों की पहुंच से बाहर हो गईं।

मारुति उद्योग कामगार यूनियन के जनरल सेक्रेटरी कुलदीप जांघू ने कहा, ‘बीते तीन से चार महीने में छंटनी काफी बढ़ गई है। पूरे हरियाणा में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कुल 15 प्रतिशत वर्कफोर्स पर असर पड़ा है। 2 लाख से ज्यादा कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स बिना नौकरियों के हैं।’ उन्होंने बताया कि गुड़गांव में मारुति प्लांट में करीब 500 से 700 कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया है। ऐसे लोगों के पास गांव लौटने के अलावा कोई चारा नहीं है। कुलदीप के मुताबिक, हालात सुधारने के लिए सरकार कई कदम उठा सकती है। मसलन जीएसटी के रेट और लोन की दरों में छूट दी जा सकती है।