Delhi Yamuna River Pollution: इस साल की शुरुआत में हुए दिल्ली के विधानसभा चुनाव में यमुना की सफाई बहुत बड़ा मुद्दा बना था। बीजेपी ने कहा था कि केजरीवाल के 10 साल के शासन में यमुना साफ नहीं हुई अब वह यमुना को साफ करने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाएगी लेकिन यमुना को लेकर आई दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की ताजा रिपोर्ट बेहद खराब तस्वीर पेश करती है।
यह रिपोर्ट कहती है कि जून के मुकाबले जुलाई में नदी में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। ताजा रिपोर्ट 17 जुलाई को आई है और नदी से सैंपल 1 जुलाई को लिए गए थे। यमुना नदी पल्ला इलाके से राजधानी में आती है और दिल्ली में लगभग 22 किलोमीटर तक बहती है।
क्या कहा गया है रिपोर्ट में?
रिपोर्ट कहती है कि नदी में faecal coliform बैक्टीरिया का level का लेवल बहुत ज्यादा है। ITO में यह 92,00,000 MPN/100 ml पाया गया जो तय सीमा से 4,000 गुना ज़्यादा है। इससे पता चलता है कि यमुना में सीवेज लगातार बढ़ रहा है।
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रिपोर्ट के मुताबिक, पल्ला में BOD (Biochemical Oxygen Demand) 8 mg/l मिली, जो CPCB के 3 mg/l से कहीं ज्यादा है। mg/l से मतलब मिलीग्राम/लीटर है। BOD पानी की गुणवत्ता का एक अहम पैरामीटर है। रिपोर्ट के मुताबिक, ITO के पास BOD 70 mg/l पहुंच गया है और यह बेहद खराब स्थिति है। असगरपुर में BOD 24 mg/l रहा हालांकि यह थोड़ा बेहतर है लेकिन अभी भी सेफ लिमिट से काफी ज्यादा है।
इससे पता चलता है कि यमुना में अभी भी बड़े पैमाने पर गंदा पानी गिर रहा है और यह तो रिकार्ड बताते हैं कि दिल्ली में 22 नाले सीधे यमुना नदी में गिरते हैं। अब जानते हैं कि जून में BOD इसकी क्या स्थिति थी।
चुनावों के दौरान सब ठीक था लेकिन अब हालात देखिए’
तब पल्ला में BOD 5 mg/l, वजीराबाद में 8 mg/l, ISBT में 31 mg/l, ITO में 46 mg/l, निजामुद्दीन में 40 mg/l, ओखला बैराज में 30 mg/l, आगरा नहर में 38 mg/l था और असगरपुर में 44 mg/l था।

इसके साथ ही DO (Dissolved Oxygen) का लेवल भी गिर गया है। DO पानी में मौजूद घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा है। वज़ीराबाद में DO जून में 6.3 mg/l था, जो जुलाई में 3.4 mg/l तक पहुंच गया।
ऑक्सीजन की कमी से बढ़ा प्रदूषण
रिपोर्ट कहती है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण यमुना का एक बड़ा हिस्सा इतना प्रदूषित हो गया है कि पानी में रहने वाले जीव इसमें नहीं रह सकते।
रिपोर्ट को पढ़ने के बाद यही चिंता सामने आती है कि यमुना नदी दिल्ली में बेहद खराब दौर से गुजर रही है और इसे फिर से जिंदा किए जाने, इसकी हालत सुधारने के लिए दावों से आगे बढ़कर जमीन पर काम किया जाना बेहद जरूरी है क्योंकि इसमें गंदगी का लेवल बढ़ रहा है और इस वजह से जलीय जीवों के लिए इसमें रहना मुश्किल हो गया है।
जब तक यमुना में नालों का गंदा पानी जाना नहीं रुकेगा तब तक यमुना जीवन दायिनी बन सकती है, ऐसा कहना बेहद मुश्किल है।