राजधानी दिल्ली में हिंसा के चलते मरने वालों की संख्या बुधवार को 20 हो गई। दिल्ली के कई इलाकों में हालात काफी खराब थे।हिंसा और दंगों के बीच आधा दर्जन से ज्यादा जगहों पर दंगाई, पुलिस की नाक के नीच ईंट-पत्थर,रॉड जुटाते नजर आए।

मंगलवार सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच मौजपुर, बाबरपुर, कबीरनगर, पश्चिम ज्योति नगर, गोकुलपुरी की गलियों में कई ऐसे लोग दिखे जो हिंसा पर उतारू थे। वृंदाबन के एक मंदिर के 21 वर्षीय पुजारी का कहना है कि “हम पिछली रात की गलती नहीं दोहरा सकते। हम कल रात सो नहीं पाए थे। उन्होंने हमारे पड़ोस में ईट- पत्थर की बारिश की। इसलिए हम अपना बचाव करने के लिए तैयार हैं। ” चौंकाने वाला यह है कि इस सब के दौरान पुलिस के छोटे दल इन जगहों पर मौजूद थे।

दोपहर करीब 1.30 बजे दुर्गापुरी चौक से मौजपुर चौक की तरफ जा रहे दो बाइक सवार मुस्लिम युवकों को भीड़ ने रोक लिया और उनके साथ मारपीट की। इस दौरान सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस के गोले दागे और भीड़ को तितर-बितर किया। लेकिन उन्हें फिर से जुटने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। पुलिस का भीड़ को तितर-बितर करना और फिर उपद्रवियों का एकत्रित हो जाना जारी रहा।

गौरतलब है कि 23 फरवरी से शुरू हुई हिंसा में अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 250 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इस दौरान पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। बता दें मंगलवार देर रात राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल ने हिंसा की आग में जल रही नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली का दौरा किया। वह रात 12.30 बजे हिंसाग्रस्त इलाकों के दौरे पर पहुंचे।

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इससे पहले वह सीलमपुर में डीसीपी (नार्थ-ईस्ट) वेद प्रकाश सूर्या के दफ्तर पहुंचे। उनके साथ दिल्ली पुलिस आयुक्त अमुल्य पटनायक भी थे। सूत्र बताते हैं कि डोवाल ने हिंसा में मारे गए व घायल हुए लोगों की संख्या जाननी चाही और यह भी पूछा कि अब तक कितने लोग गिरफ्तार किए या हिरासत में लिए गए हैं।

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