दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने अपने ही देश के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे को सिरे खारिज कर दिया है। दूतावास से मिली जानकारी के अनुसार अमेरिकी सहायता एजेंसी (USAID) की ओर से भारत सरकार को किसी प्रकार की सहायता राशि नहीं दी गई है। दरअसल ट्रंप ने दावा किया था कि भारत में मतदाता भागीदारी बढ़ाने के लिए अमेरिकी सहायता एजेंसी द्वारा 21 मिलियन डॉलर (175 करोड़ रुपये) का फंड दिया गया था। इस बात की जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय ने बीते गुरुवार को राज्यसभा में दी है।

अमेरिकी दूतावास ने विदेश मंत्रालय को स्पष्ट किया कि वित्तीय वर्ष 2014 से लेकर 2024 तक USAID / India ने भारत में मतदाता भागीदारी अभियान के लिए कोई फंडिंग नहीं की है और न ही ऐसी किसी गतिविधि को लागू किया गया। अमेरिका दूतावास द्वारा दिया गया बयान राष्ट्रपति ट्रंप के बयान ठीक विपरीत नजर आ रहा है। ट्रंप के इस बयान ने भारत में राजनीतिक हलकों में तहलका मचा दिया था।

भारत में कांग्रेस और बीजेपी के बीच शुरू हो गई थी तीखी नोकझोक

संसद का मानसून सत्र समाप्त हो गया है। हालांकि सत्र के आखिरी दिन बीते गुरुवार को राज्यसभा में विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत सरकार ने 28 फरवरी को अमेरिकी दूतावास से अनुरोध किया था कि वह पिछले दस वर्षों में भारत में USAID द्वारा सहायता प्राप्त सभी परियोजनाओं पर किए गए व्यय का विवरण तत्काल प्रस्तुत करे। वहीं राष्ट्रपति अमेरिकी डोनाल्ड ट्रम्प ने कई अवसरों पर इस दावे को दोहराया है।

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इस साल की शुरूआत में डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि भारत सरकार ने अमेरिकी सहायता एजेंसी के फंड का उपयोग वोटरों की चुनाव में भागीदारी से संबंधित गतिविधियों के लिए किया गया। इसके अलावा ट्रंप ने फरवरी महीने में मियामी की एक समिट में कहा था कि भारत में मतदाता भागीदारी के लिए 21 मिलियन डॉलर खर्च करने की जरूरत क्यों है? ट्रंप ने आगे कहा था कि उन्हें लगता है कि भारत सरकार किसी को जिताने की कोशिश कर रही है। ट्रंप के इस बयान ने भारत में राजनीतिक हलकों में तहलका मचा दिया था। सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के बीच तीखी बहस शुरू हो गई थी।