देश की सबसे बड़ी जेलों में से एक दिल्ली की तिहाड़ जेल को वर्तमान पश्चिमी दिल्ली से पूरी तरह राजधानी के बाहरी इलाके में शिफ्ट करने की योजना पर काम चल रहा है। जेल अधिकारी ने बताया कि यह प्रक्रिया दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा जेल परिसर के लिए 400 एकड़ जमीन को मंजूरी दिए जाने के तुरंत बाद शुरू कर दी जाएगी। पिछले महीने जेल अधिकारियों ने डीडीए को पत्र लिखकर भूमि आवंटन की मांग की थी और साथ ही तीनों जेल परिसरों में क्षमता से दोगुने कैदी होने का हवाला दिया था।
इंडियन एक्सप्रेस द्वारा देखी गई 24 अप्रैल के पत्र की एक कॉपी में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के मार्च के बजट भाषण का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें उन्होंने जेल को शिफ्ट करने की बात कही थी। पत्र में कहा गया है, “दिल्ली जेल तिहाड़, रोहिणी और मंडोली के तीन परिसरों से संचालित हो रही है, जिसमें 16 जेलें शामिल हैं। इन जेलों में कुल 10,026 कैदियों को रखने की क्षमता है जबकि वर्तमान में इन जेलों में लगभग 20,000 कैदी बंद हैं।”
पत्र में आगे कहा गया है, “इससे सुरक्षा संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं और पानी और सीवरेज सुविधाओं, कचरा निपटान जैसी आवश्यक सुविधाओं पर भारी दबाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा होते हैं। साथ ही जेल के अंदर चल रहे अन्य सुधार/सुधार और पुनर्वास कार्यक्रमों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।”
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नरेला में बनेगी हाई सिक्योरिटी वाली चौथी जेल
पत्र में यह भी कहा गया कि नरेला में हाई सिक्योरिटी वाली चौथी जेल बनने के बावजूद भी समस्या का समाधान नहीं हो पाएगा। इसमें कहा गया है, “नरेला में उच्च सुरक्षा वाली जेल बनाने की आगामी परियोजना भी कैदियों की अधिकता की समस्या का समाधान करने में सक्षम नहीं होगी क्योंकि इस जेल में स्वीकृत क्षमता 256 कैदियों की है। ऐसे में विभाग को कम से कम 5,000-8,000 कैदियों को रखने की क्षमता वाली नई जेलों के निर्माण के लिए अतिरिक्त भूमि की सख्त जरूरत है।”
इसमें कहा गया है, “उपर्युक्त को देखते हुए, मौजूदा तिहाड़ जेल परिसर को स्थानांतरित करने के लिए एक नए जेल परिसर के विकास के लिए अतिरिक्त 400 एकड़ भूमि की पहचान करने और आवंटित करने का अनुरोध किया जाता है।”
जेल अधिकारी ने इस कदम के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “तिहाड़ को रिहायशी इलाके से बाहर ले जाना जरूरी है।” “हमारी अधिकांश जेलें एक मंजिला हैं, जबकि तिहाड़ के आसपास की रिहायशी सोसाइटियाँ ऊँची इमारतें हैं। कोई भी इन इमारतों पर चढ़कर तिहाड़ देख सकता है। अंदर कुछ भी फेंका जा सकता है। साथ ही, जेल में लगे जैमर से इलाके के सिग्नल बाधित होने की समस्या भी लोगों को होती है। जेलों का उद्देश्य अपराधियों को शहरों से दूर रखना है – उनके बीच में नहीं।”
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दो और जेलों का प्रस्ताव
जेल प्रशासन ने जेलों में भीड़भाड़ कम करने के लिए एक और प्रस्ताव भी रखा है – नरेला जेल के साथ-साथ 2,000 कैदियों की संयुक्त क्षमता वाली दो नई जेलों का निर्माण। जेल अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में जेल प्रशासन जल्द ही सरकार को प्रस्ताव भेजेगा। कुल आवंटन में से 48.58 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार द्वारा दिए जाएंगे जबकि शेष 100 करोड़ रुपये केंद्र सरकार के खजाने से आएंगे।
तिहाड़ के एक अधिकारी ने बताया कि नरेला उच्च सुरक्षा जेल के लिए कुल 40 एकड़ भूमि आवंटित की गई है, जिसमें से 250 कैदियों की क्षमता वाली साइट के निर्माण के लिए लगभग 18 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी। अधिकारी ने कहा, “शेष क्षेत्र, लगभग 22 एकड़ का उपयोग दो अन्य जेलों के निर्माण के लिए किया जाएगा। प्रस्ताव का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है और इसे जल्द ही भेजा जाएगा।” पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स