आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा की मुश्किलें बढ़ सकती है। दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर पेश किया गया राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक-2023 राज्यसभा से भी पास हो गया। राघव चड्ढा की ओर से पेश किए गए एक प्रस्ताव को लेकर उनकी मुश्किलें बढ़ सकती है। पूरे मामले की जांच की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि राघव चढ्ढा के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जा सकती है।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल इस विधेयक पर चर्चा और वोटिंग के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने बिल को सेलेक्‍ट कमेटी को भेजने का प्रस्‍ताव दिया, जिसे लेकर उन्‍होंने कई सांसदों के समर्थन की बात कही। हालांकि जब सांसदों का नाम लिया गया तो उनमें से कुछ ने इस बात से इनकार किया कि नाम के लिए उनसे सहमति ली गई है और उन्‍होंने इसे लेकर विरोध जताया। इसे लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने भी सवाल उठाया। सूत्रों का कहना है कि अगर प्रस्ताव पर सांसदों के हस्ताक्षर फर्जी मिले तो राघव चड्ढा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

गृहमंत्री अमित शाह ने भी उठाए सवाल

चर्चा के दौरान अमित शाह ने सांसदों का जिक्र करते हुए कहा कि मान्यवर ये दोनों सम्मानीय सदस्य कह रहे हैं कि इन्होंने मोशन को साइन नहीं किया है, अब ये जांच का विषय है कि ये मोशन कैसे साइन हुआ। राघव चड्ढा जी ने इस पर साइन किया है, इनका सिग्नेचर किसने किया है ये जांच का विषय है। ऐसे नहीं चलता है। मान्यवर ये मामला अब सिर्फ दिल्ली सरकार में फर्जीवाड़े का नहीं है, ये सदन के अंदर फर्जीवाड़े का मामला है। इसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सभापति से कहा, मेरा आपसे निवेदन है कि इन दोनों सदस्यों का स्टेटमेंट रिकॉर्ड पर अभी रिकॉर्ड पर लिया जाए और बाद में इसकी जांच की जाए कि आखिर ये कैसे हुआ। इसके बाद राघव चड्ढा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने का फैसला किया गया। जिसे लेकर राघव ने कहा है कि वो नोटिस का जवाब देंगे।

किन सांसदों ने जताई आपत्ति

बता दें कि बीजू जनता दल के वरिष्‍ठ नेता और राज्‍यसभा सांसद सस्मित पात्रा ने कहा कि जब यह प्रस्‍ताव दिया जा रहा था तो मैंने सुना कि मेरा नाम भी इसमें है तो मैंने तुरंत आसन को पॉइंट ऑफ ऑर्डर के तहत नियम 72 (2) के जरिए मैंने कहा कि मेरा नाम बिना मेरे संज्ञान के लाया गया है। मुझे नहीं पता कि मेरा नाम कैसे आया है। वहीं बीआरएस के राज्‍य सभा सांसद केशव राव ने कहा कि नियम के मुताबिक जब हम किसी का नाम शामिल करते हैं तो उनसे सहमति लेते हैं।