Astha Saxena
दिल्ली सांप्रदायिक हिंसा में दर्जनों लोगों की जान चली गई और सैकड़ों घरों को आग के हवाले कर दिया। हालांकि इस हिंसा में कुछ चेहरे ऐसे भी थे जिन्होंने इंसानियत को जिंदा रखा और अपनी जान खतरे में डालकर पड़ोसियों की जान बचाई। ऐसे ही एक जिंदादिल इंसान हैं प्रेमकांत बघेल (29), जिन्होंने अपनी जान की परवाह ना करते हुए आग में झुलसी इमारत में घुसकर छह लोगों को सुरक्षित बचाया। पेशे से ऑटो रिक्शा ड्राइवर और शिव विहार निवासी बघेल इस दौरान 70 फीसदी तक झुलस गए। उन्हें जीटीबी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है।
डॉक्टरों का कहना है कि उनकी हालत स्थिर है और स्वस्थ होने के संकेत दिख रहे हैं। मंगलवार (25 फरवरी, 2020) की घटना को याद करते हुए उनके भाई सुमित बघेल ने बताया कि प्रेमकांत अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना आग की लपटों में कूद गए और पड़ोसियों की जान बचाई। क्षेत्र में उन्हें लालाजी का परिवार के रूप में जाना जाता है।
सुमित ने बताया, ‘हम अपने घरों में बैठे थे तभी अचानक पड़ोसी के घर से आग की लपटें आती देखीं। हम में से कुछ लोग छत पहुंचे ताकि पता चल सके कि वास्तव में हुआ क्या है। प्रेमकांत पहले ही उस घर में पहुंच चुके थे। वो पांच लोगों को सुरक्षित बाहर निकल में कामयाब रहे। मगर घर में एक बुजुर्ग महिला फंस गई और उसे बचाने में समय लग गया। इस दौरान वो जल गए।’
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डॉक्टरों के मुताबिक, ‘आंशिक रूप से उनका चेहरा जल गया और गंभीर रूप से दोनों हाथ जल गए। दिल्ली महिला आयोग की चीफ स्वाति मालीवाल ने शुक्रवार को हॉस्पिटल में प्रेमकांत से मुलाकात की।’
प्रेमकांत के भाई के मुताबिक, ‘वो खतरे से बाहर हैं लेकिन उनका चेहरा जल गया है। उन्हें इस बात का गर्व है कि वो लोगों की जान बचा सके। हालांकि हमें उन्हें हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए इंतजार करना पड़ा, क्योंकि किसी ने हमें लिफ्ट की पेशकश नहीं की और एंबुलेंस मिली नहीं।’
उल्लेखनीय है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा में 250 से ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हो गए और दर्जनों लोगों की जान चली गई। हिंसा के दौरान बड़ी संख्या में मकानों को नुकसान पहुंचाया गया। उन्मादी भीड़ ने घरों, दुकानों, वाहनों और एक पेट्रोल पंप को आग के हवाले क दिया। स्थानीय लोगों और पुलिस पर पथराव किया गया।

