जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय के छात्रों के संघ को परिसर में पूर्वोत्तर दिल्ली हिंसा के पीड़ितों को आश्रय देने के खिलाफ चेतावनी दी। इस संबंध में जारी किए गए नोटिस में, जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने ऐसे किसी भी प्रयास में शामिल छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी। नोटिस में कहा गया है कि जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) को जेएनयू परिसर को आश्रय गृह बनाने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।

नोटिस में कहा गया “आप कोई भी ऐसी गतिविधि न करें इसलिए सख्ती से सलाह दी जा रही है। अगर आप इसे नहीं मानते तो आपके खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। आपको यह भी सलाह दी जाती है कि जेएनयू जैसे शैक्षणिक संस्थान को अध्ययन और अनुसंधान का स्थान बनाए रखें हम इसे शेल्टर होम नहीं बना सकते।”

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नोटिस के अनुसार, जेएनयू प्रशासन को कैंपस निवासियों से कई फोन आए थे, उन्होंने कहा कि जेएनयूएसयू द्वारा दिए गए कॉल के कारण वे असुरक्षित महसूस कर रहे थे। आपको इसके द्वारा चेतावनी दी गई है कि आपको जेएनयू निवासियों को हुई किसी भी असुविधा या असुरक्षा के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

इस बीच, दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने सांप्रदायिक सद्भाव के लिए परिसर में शांति मार्च निकाला। कई छात्रों ने पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए कक्षाओं का बहिष्कार किया, जिसमें अब तक कम से कम 42 लोगों के मरने और 200 के घायल होने का दावा किया गया है।

बता दें दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएस रंधावा के मुताबिक दिल्ली हिंसा में अब तक 123 एएफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। 630 लोगों को गिरफ्तार या फिर हिरासत में लिया गया है। उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगा पीड़ितों की मदद के लिए दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को एक और बड़ा कदम उठाने का ऐलान किया है।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार शाम को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 4 सब डिविजन हैं। आम तौर पर यहां 4 एसडीएम होते थे, लेकिन अब हमने यहां 18 एसडीएम नियुक्त किए हैं। सीएम केजरीवाल ने कहा कि जिन लोगों के घर पूरी तरह से या काफी हद तक जल गए हैं, उन्हें कल दोपहर 25,000 रुपये नकद दिए जाएंगे।

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