Delhi riots: उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में बीते दिनों हुए दंगों में 50 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवाई है। बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा को संबोधित किया और दिल्ली दंगों पर भाषण दिया। लेकिन गृह मंत्री के इस भाषण में विरोधाभास देखने को मिला। बुधवार को अमित शाह ने कहा कि दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे एक “प्री-प्लान्ड साजिश” थी। लेकिन कुछ दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि ये हिंसा अचानक फैली थी।

25 फरवरी को, प्रेस सूचना ब्यूरो द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक अमित शाह ने कहा था कि पेशेवर आकलन है कि राजधानी में हिंसा अचानक फैली थी। बयान में कहा गया है कि उन्हें दिल्ली पुलिस पर पूरा भरोसा था और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए बल ने अधिकतम संयम दिखाया है। यह बयान 25 फरवरी को दिल्ली के हालात पर एक बैठक के बाद दिया गया है। इस बैठक में दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मौजूद थे।

बुधवार को लोकसभा में अपने भाषण में, शाह ने कहा कि इस हिंसा के लिए हवाले के माध्यम से पैसा लगाया गया था। उत्तर प्रदेश के 300 से अधिक दंगाइयों की पहचान की गई थी, जिससे पता लगता है कि दंगे की योजना पहले से बनाई गई थी। शाह ने कहा कि दिल्ली दंगा के गुनहगारों को बख्शा नहीं जाएगा। दिल्ली दंगे को लेकर 27 फरवरी से अब तक 700 से ज्यादा एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं।

अपने इस भाषण में शाह ने बताया कि वो खुद दिल्ली हिंसा प्रभावित इलाकों में क्यों नहीं गए और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल को क्यों भेजा? केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, ‘मैं इसलिए दंगा प्रभावित इलाकों में नहीं गया, क्योंकि अगर मैं जाता, तो मेरे जाने से पुलिस मेरे पीछे लगती और पुलिस दंगे रोकने में अपने बल को नहीं लगा पाती। इसलिए मैंने अजीत डोभाल को भेजा था।’