दिल्ली दंगों के दौरान अल्लाह वाली मस्जिद में लगी आग के मामले में कड़कड़डूमा की कोर्ट ने हिंदू पक्ष लके पांच युवकों पर चार्ज फ्रेम किए हैं। कोर्ट का कहना था कि प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही और सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है कि इन पांच युवकों ने मस्जिद में आज लगाकर वहां रखी कुरान को क्षति पहुंचाई। कोर्ट का कहना था कि गवाहों के बयान और सीसीटीवी फुटेज दंगों के दौरान की सारी कहानी को बयां कर रही है।

एडिशनल सेशन जज पुलस्त्या प्रमचला ने माना कि पांचों युवकों गौरकानूनी तरीके से भीड़ को इकट्ठा किया। जिन पर चार्ज फ्रेम तिए गए उन युवकों में अंकित, सौरभ, रोहित, राहुल कुमार और सचिन शामिल हैं। करावल नगर के थाने में हेड कांस्टेबल मो. इमरान की शिकायत पर 2020 में केस दर्ज किया गया था।

आरोप है कि शही भगत सिंह कालोनी में स्थित मस्जिद को आग के हवाले करने के बाद उसमें रखी कुरान को क्षति पहुंचाई गई थी। कुछ लोगों ने मस्जिद के चबूतरे पर एक मूर्ति भी रख दी थी। वारदात के बाद सीसीटीवी के फुटेज भी एकत्र किए गए थे। उसके बाद स्टाफ और हेड कांस्टेबल ने भीड़ में मौजूद उन लोगों की पहचान की थी जिन्होंने मस्जिद को आग केस हवाले किया था।

परेड नहीं कराई गई तो भी आरोपियों को डिस्चार्ज नहीं कर सकते

पांचों हिंदू य़ुवकों ने इस आधार पर खुद को डिस्चार्ज करने की मांग की थी इस मामले में टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड नहीं कराई गई थी। कोर्ट का कहना था कि इस दलील के आधार पर आरोपियों के खिलाफ केस खारिज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने चार आरोपियों पर आईपीसी की धारा 147, 148, 427, 435, 436, 149, 188 और 450 के तहत चार्ज फ्रेम किए जबकि रोहित पर सेक्शन 109 और 114 का चार्ज भी लगाया गया।

रोहित ने भीड़ को उकसाया, सौरभ ने मस्जिद में आग लगाई

चार्ज फ्रेम करने के दौरान एडिशनल सेशन जज ने कहा कि एक प्रत्यक्षदर्शी अली अहमद ने बताया था कि रोहित भीड़ को उकसाने का काम कर रहा था। गवाह का ये भी कहना था कि रोहित मुस्लिमों के घरों को भी आग लगाने के लिए भीड़ को उकसा रहा था। बयान में ये भी कहा गया कि सौरभ ने मस्जिद में आ लगाई जबकि अंकित ने मस्जिद के भीतर से चीजों को बाहर निकाला और फिर उनको नुकसान भी पहुंचाया।

एडिशनल सेशन जज ने कहा कि गवाहों के बयान सुनने के बाद में अदालत ने सीसीटीवी फुटेज उनको दिखाई तो सभी ने पांचों आरोपियों को उस भीड़ का हिस्सा बताया जिसने मस्जिद में आग लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि जब सारे पांचों आरोपी उन्मादी भीड़ में मौजूद थे तो उनकी ये दलील मायने नहीं रखती कि उन्होंने ये अपराध किया और वो नहीं।