दिल्ली पुलिस ने पिछले साल फरवरी में सांप्रदायिक हिंसा मामले में एफआरएस यानी चेहरा पहचान तकनीक के जरिए 100 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी की। दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने शुक्रवार (19 फरवरी, 2021) को ये जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दिल्ली दंगा में मामले में कुल 1818 लोगों की गिरफ्तारी हुई। इनमें से 231 लोगों को नई तकनीकों के जरिए पकड़ा जा सका।
उन्होंने बताया कि 231 लोगों में से 137 की पहचान FRS तकनीक के जरिए की गई और आपराधिक रिकॉर्ड का मिलान किया गया। बाकी 94 मामले में छानबीन के लिए ड्राइविंग लाइसेंस की तस्वीरों और सूचनाओं का इस्तेमाल हुआ। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के डेटा, लोकेशन का भी प्रयोग किया गया। डीएनए फिंगर प्रिंटिंग, ई-वाहन डाटाबेस, चेहरा पहचान तकनीक का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया और कोष के लेन-देन का विश्लेषण किया गया।
दिल्ली पुलिस हेडक्वार्टर में वार्षिक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्रीवास्तव ने कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे से जुड़े 750 से ज्यादा मामलों की जांच के लिए तकनीक का व्यापक तरीके से इस्तेमाल किया गया। दंगों के सिलसिले में 755 FIR दर्ज की गई और पुलिस बल ने ‘पारदर्शी और निष्पक्ष’ जांच सुनिश्चित की।
पिछले साल 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। बकौल पुलिस कमिश्नर दंगों में 53 लोगों की मौत हुई और 581 लोग घायल हुए थे। पिछले साल 24 और 25 फरवरी को दंगों के दौरान सबसे ज्यादा हिंसक घटनाएं हुईं। कुल 755 प्राथमिकी दर्ज की गईं और हमने सुनिश्चित किया कि किसी को यह शिकायत ना रहे कि उनके मामले को नहीं सुना गया।
उन्होंने कहा कि मामलों की जांच के लिए तीन एसआईटी बनाई गईं। सभी महत्वपूर्ण मामले (करीब 60) अपराध शाखा के तहत तीनों एसआईटी के पास स्थानांतरित किए गए। श्रीवास्तव ने कहा कि एक मामला दंगों के पीछे की साजिश को उजागर करने के लिए दर्ज किया गया। इसकी जांच दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने की जबकि बाकी मामलों की जांच उत्तर-पूर्वी जिले की पुलिस ने की। उन्होंने कहा, ‘निष्पक्ष और पारदर्शी जांच सुनिश्चित करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया गया और विज्ञान तथा तकनीक पर आधारित साक्ष्यों को खारिज नहीं किया जा सकता।’ (एजेंसी इनपुट)

