राजधानी दिल्ली की हवा फिर जहरीली हो चुकी है, पराली के धुंए लोग पूरी तरह त्रस्त नजर आ रहे हैं। आसमान में काली चादर और सांसों में जाता धुआँ एक विस्फोटक रूप ले चुका है। हैरानी की बात यह है कि जो आदमी सिगरेट का सेवन कर अपने फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, उससे चार गुना ज्यादा नुकसान यह पराली प्रदूषण देने का काम कर रहा है, यानी कि अगर आप स्मोकिंग नहीं भी कर रहे हैं, आपके शरीर में जहरीली हवा का प्रवास हो रहा है जिससे फेफड़े खराब, बहुत खराब हो रहे हैं।
Delhi Pollution: कोरोना का कितना असर पड़ा?
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इसके ऊपर कोरोना ने पूरी दुनिया को बदल कर रख दिया है। लोगों की इम्युनिटी पर असर पड़ा है, उनके जीने के तरीके बदले हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि कोरोना का असर लोगों के लंग्स पर पड़ा है, जिन्हें गंभीर इनफेक्शन हुआ था, उन्हें वर्तमान में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे ही कई लोग अब दिल्ली में बढ़ रहे इस प्रदूषण से भी परेशान हैं। उनका सिर्फ एक सवाल है- क्या कोरोना से ग्रसित रहे मरीजों को इस धुंए से ज्यादा तकलीफ होने वाली है? क्या उनकी जान को ज्यादा जोखिम हो सकता है? अब जिन डॉक्टरों से हमने संपर्क साधा, उनकी राय साफ थी कि कोरोना का असर जरूर रहा है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि सिर्फ उसी वजह से ऐसा नुकसान देखने को मिलेगा।
डॉक्टर से जानिए, किन लोगों को ज्यादा खतरा
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मैक्स अस्पताल में कार्यरत Pulmonologist डॉक्टर आशीष जैसवाल ने जनसत्ता से बात करते हुए कहा कि जिन मरीजों को पहले कोविड निमोनिया हुआ था, वो अपने आप टाइम के हिसाब से 18-20 महीनों में रीकवर हो गए थे, उनमें से सिर्फ 5 से 7 फीसदी मरीज ऐसे थे जिन्हें जरूरत से ज्यादा दिक्कतें हो गई थीं। उन लोगों के लिए जरूर यह प्रदूषण इस समय काफी जानलेवा है। ऐसे लोगों के फेफड़ों की क्षमता काफी कम है, उसी वजह से वो प्रदूषण से लड़ नहीं पाते हैं, उनका शरीर उस तरह से रिसपॉन्ड नहीं कर पाते हैं। ऐसे मरीजों में टीकाकरण की अहमियत काफी ज्यादा बढ़ जाती है।
डर ज्यादा, बीमारी नहीं, डॉक्टर की अलग राय
अब डॉक्टर आशीष के मुताबिक तो कुछ कोविड मरीजों को समस्या का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन सभी को इस प्रदूषण से ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है। कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया हमे Pulmonologist डॉक्टर सुशील उपाध्याय से भी मिली है। वे भी इसी बात पर जोर देते हैं कि उन लोगों को इस प्रदूषण से ज्यादा दिक्कत रहेगी जिन्हें पहले से ही फेफड़ों की कोई समस्या चल रही हो या फिर जो कई सालों से अस्थमा या दूसरी ऐसी किसी बीमारी का शिकार हैं। कोरोना को लेकर उनका मानना है कि लोगों के मन में इसे लेकर डर ज्यादा बैठ गया है। लोग ऐसा ज्यादा सोचने लगे हैं कि उन्हें क्योंकि कोविड हो चुका है, ऐसे में उन्हें इस प्रदूषण में ज्यादा दिक्कत होने वाली है। डॉक्टर सुशील इसे Perceptual Problem बताते हैं, यानी कि असल समस्या शायद उतनी ना हो, लेकिन लोग उस दिशा में जरूरत से ज्यादा सोच रहे हैं।
वैसे अगर किसी शख्स को कोविड भी हुआ था और उन्हें पहले से ही लंग्स संबंधी कोई बीमारी भी चल रही हैं, उस वर्ग को लेक डॉक्टर आशीष ने जरूर चिंता जाहिर की है। वे कहते हैं कि ऐसे लोगों को बहुत ध्यान रखने की जरूरत है। लोगों को मॉर्निंग और शाम की वॉक का शौक होता है, लेकिन यह याद रखना जरूरी है कि इस समय AQI ज्यादा है। ऐसे लोगों को अपने इनहेलर निकाल लेने चाहिए, अगर कोई दवाई ले रहे हैं तो उसे तुरंत बंद ना करें। अपनी डाइट का भी बहुत ध्यान रखने की जरूरत है, बॉडी पूरी समय हाइड्रेट रहे, इसका भी ख्याल रखना चाहिए।
डॉक्टर आशीष यहां तक बताते हैं कि जिन मरीजों की लंग्स की क्षमता ज्यादा कम हो चुकी है, उनके लिए एयर प्यूरिफायर जरूर काम कर सकता है। सामान्य लोगों को इसकी ज्यादा जरूरत नहीं है, लेकिन जो बीमार हैं या जिन्हें पहले से कई समस्याएं चल रही हैं, उनके लिए यह वरदान साबित हो सकते हैं।
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