दिल्ली में पहले से ही खतरनाक प्रदूषण की स्थिति और भी बदतर हो रही है। ऐसे में सीएक्यूएम ने दिल्ली की सड़कों का निरीक्षण किया। इस दौरान धूल को दिल्ली की सडकों पर प्रदूषण का प्रमुख कारण पाया गया, साथ ही नीरिक्षण में यह भी पाया गया कि डीडीए की सड़कों पर इसका सबसे अधिक जमाव होता है।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के लेटेस्ट निरीक्षण अभियान के दौरान दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को सबसे बड़ा उल्लंघनकर्ता पाया गया है। रोहिणी में सर्वे किए गए इसके 57 खंडों में से 12 पर अत्यधिक धूल पाई गई है। ये निष्कर्ष सोमवार को सीएक्यूएम की 22 फ्लाइंग स्क्वाड द्वारा किए गए ऐसे तीसरे निरीक्षण का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य धूल के संचय का आकलन करना और ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत शमन उपायों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना था।

CAQM ने किया सर्वे

सीएक्यूएम के अनुसार, निरीक्षण में दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी), दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) और डीडीए द्वारा मेंटेन की जाने वाली 79 सड़क खंडों का निरीक्षण किया गया। सीएक्यूएम टीमों ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) के अंतर्गत आने वाले खंडों का भी पुनः निरीक्षण किया ताकि पहले की गई कार्रवाइयों के प्रभाव का मूल्यांकन किया जा सके।

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सीएक्यूएम ने बताया कि निरीक्षण किए गए हिस्सों में से 15 पर अत्यधिक धूल पाई गई, 36 पर मध्यम धूल, 22 पर कम धूल और 6 हिस्सों पर धूल बिल्कुल नहीं पाई गई। धूल से ग्रस्त अधिकांश हिस्से डीडीए के अंतर्गत आते हैं, जिसके कारण आयोग ने यह टिप्पणी की कि एजेंसी के यांत्रिक सफाई और सड़क सफाई प्रयासों को मजबूत करने की आवश्यकता है, विशेष रूप से उन हिस्सों पर जहां धूल अक्सर जमा होती है।

डीडीए, एमसीडी और डीएमआरसी ने कितना किया सुधार

एमसीडी और एनडीएमसी की सड़कों के पुनः निरीक्षण में मिश्रित प्रगति देखने को मिली। सीएक्यूएम ने कहा कि सुधारात्मक उपायों के बाद एमसीडी के धूल भरे हिस्सों में लगभग 50% की कमी आई है। हालांकि, पुनः जांचे गए 35 हिस्सों में से 18 अभी भी धूल भरे क्षेत्रों की श्रेणी में बने हुए हैं। आयोग के अनुसार, एनडीएमसी के केवल एक हिस्से का पुनः निरीक्षण किया गया और वह भी धूल भरे क्षेत्रों की श्रेणी में बना रहा।

डीएमआरसी और डीएसआईआईडीसी का प्रदर्शन तुलनात्मक रूप से बेहतर रहा। आयोग ने बताया कि डीएमआरसी द्वारा निरीक्षण किए गए 10 खंडों में से कोई भी उच्च धूल श्रेणी में नहीं आया जिनमें से दो में धूल बिल्कुल नहीं दिखी, तीन में कम धूल और चार में मध्यम धूल पाई गई। वहीं, डीएसआईआईडीसी के 12 खंडों में से तीन में उच्च धूल, चार में मध्यम धूल, तीन में कम धूल और दो में धूल बिल्कुल नहीं दिखी।

सीएक्यूएम ने सुप्रीम कोर्ट से किया यह अनुरोध

दिल्ली-एनसीआर में खराब वायु गुणवत्ता में वाहनों के प्रदूषण को एक प्रमुख कारक मानते हुए सीएक्यूएम ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से उसके 12 अगस्त के आदेश की समीक्षा करने का आग्रह किया। उक्त आदेश में राष्ट्रीय राजधानी में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम न उठाने का निर्देश दिया गया था।

वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों की याचिका में दाखिल 300 से अधिक पृष्ठों के हलफनामे में, सीएक्यूएम ने कहा, “वाहनों से होने वाला प्रदूषण दिल्ली-एनसीआर में आमतौर पर खराब वायु गुणवत्ता के लिए सबसे महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कारकों में से एक है। इस प्रकार, वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करना आयोग की मुख्य प्राथमिकताओं में से एक रहा है, जिसे उसने एनसीआर की राज्य सरकारों और दिल्ली सरकार के साथ अपनी विचार-विमर्श में केंद्रित किया है।”

आगे का रास्ता सुझाते हुए, सीएक्यूएम ने कहा, “वाहन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए बीएस-थ्री और उससे कम मानक वाले वाहनों को न्यायालय के 12 अगस्त, 2025 के आदेश की परिधि से बाहर रखा जाना चाहिए क्योंकि इन वाहनों की उत्सर्जन क्षमता की तुलना बीएस-4 उत्सर्जन मानकों से की जाए तो यह अधिक प्रदूषणकारी हैं।”

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(भाषा के इनपुट के साथ)