Delhi Polls: भारतीय जनता पार्टी ने आगामी आठ फरवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों में दो सीटें जनता दल यूनाइटेड को और एक सीट लोक जनशक्ति पार्टी को देने का फैसला किया है। जदयू दिल्ली में अपना पैर पसारने के लिए काफी मेहनत कर रही है। पार्टी ने दिल्ली चुनाव के लिए अपने स्टार प्रचारकों की सूची भी जारी कर दी है। सूची में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार सहित प्रमुख नेताओं को शामिल किया गया है लेकिन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर का नाम गायब है। हालांकि झारखंड विधानसभा चुनाव के समय उनका नाम स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल था। ऐसे में यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या सीएए समर्थक और अरविंद केजरीवाल का सहयोगी होने की वजह से नीतीश कुमार ने पीके को यह सजा दी है?
प्रशांत किशोर लगातार कर रहे सीएए का विरोध
जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर पार्टी लाइन से इतर लगातार सीएए का विरोध कर रहे हैं। प्रशांत किशोर ने विभिन्न मौकों पर कहा, “हमें भले ही बताया जाता है कि सीएबी नागरिकता देने के लिए है, किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है। सच्चाई यह है कि सीएबी एनआरसी के साथ मिलकर धर्म के आधार पर भेदभाव में बदल सकता है। भारत की आत्मा को बचाने का काम 16 गैर-भाजपाई मुख्यमंत्रियों के जिम्मे है। मैं संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी को औपचारिक रूप से नकारने के लिए सभी के साथ कांग्रेस नेतृत्व को धन्यवाद देता हूं। मैं सुनिश्चित करना चाहता हूं कि बिहार में सीएए-एनआरसी लागू नहीं होगा।” इसके साथ ही प्रशांत किशोर भाजपा के सहयोगी जदयू का नेता होते हुए भी दिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। आप का सीधा मुकाबला भाजपा से है।
जदयू के स्टार प्रचारकों की सूची में इन नेताओं का नाम
जदयू के स्टार प्रचारकों की सूची में सीएम नीतीश कुमार, केसी त्यागी, ललन सिंह, आरसीपी सिंह, वशिष्ठ नारायण सिंह, अशोक चौधरी, रामनाथ ठाकुर, श्रवण कुमार, जयकुमार सिंह, संजय कुमार झा, अफाक अहमद खान, दयानंद राय, महाबली सिंह, महेश्वर हजारी, दिलेश्वर कामत, आरपी सिंह, सुनील कुमार पिंटू, चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी, राज सिंह मान एवं कविता सिंह के नाम शामिल हैं। हालांकि इसे संयोग कहें या कुछ और, सीएए पर विरोध दर्ज करवाने वाले जदयू के दोनों नेता पवन वर्मा और प्रशांत किशोर का नाम दिल्ली चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची से गायब है। पवन वर्मा ने भी बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के उस बयान की तीखी आलोचना की थी, जिसमें मई से सितंबर के दौरान राज्य में एनपीआर लागू करने की घोषणी की गई थी।