दिल्ली के जामिया इलाके में गुरुवार को सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शनमार्च के दौरान एक युवक ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की। इसमें जामिया का एक छात्र जख्मी हो गया। हालांकि मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने तुरंत आरोपी युवक को पकड़ लिया। उसके ऊपर आईपीसी की धारा 307 और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है। जामिया के चीफ प्रॉक्टर ने अनुराग ठाकुर और कपिल मिश्रा को जिम्मेदार ठहराया है। वीसी बोलीं कि हमारा भरोसा टूटा है। हमें गारंटी चाहिए।

जामिया के चीफ प्रॉक्टर वसीम अहमद खान ने इस घटना के लिए भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर और कपिल मिश्रा के भड़काऊ चुनावी भाषणों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “छात्र राजघाट तक मार्च करने की कोशिश कर रहे थे, हम उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे… यह एक शांतिपूर्ण विरोध था। ऐसे में उस आदमी ने गोली क्यों चलाई? यह घटना अनुराग ठाकुर और कपिल मिश्रा के भड़काऊ भाषणों के कारण हुई है। उन्होंने लोगों को उकसाया। हम पीड़ित हैं। पुलिस और सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।”

एक वीडियो मैसेज में जामिया की वीसी नजमा अख्तर पूछा कि पुलिस ने समय रहते बंदूकधारी को क्यों नहीं पकड़ा। जबकि बंदूकधारी से 30 मीटर के आसपास लगभग दो दर्जन कर्मी खड़े थे, मार्च को लेकर 300 पुलिसकर्मी और सीआरपीएफ की पांच कंपनियां इलाके में तैनात थीं।

छात्रों को संयम दिखाने और इस बात की ओर इशारा करते हुए कि चीजें हाथ से निकल सकती हैं, अख्तर ने कहा, “हमें इस घटना से बड़ा झटका लगा है। ऐसा कभी नहीं हो सकता कि कोई आदमी पुलिस के सामने पिस्तौल लहराए और कोई उसे रोक नहीं सके। फिर वह किसी को गोली मारता है और बहुत ही शांत तरीके से पकड़ा जाता है। यह घटना हमारे भरोसे को तोड़ रही है। मुझे उम्मीद है कि ऐसी घटना दोबारा नहीं होगी। हमें एक आश्वासन की आवश्यकता है कि यह फिर से नहीं होगा।”

विश्वविद्यालय परिसरों के आसपास स्थितियों को संभालने के लिए दो महीनों में तीसरी बार दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा है। दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि यह घटना काफी तेजी से हुई। स्पेशल सीपी क्राइम प्रवीर रंजन ने कहा, “जब तक पुलिस कुछ कर पाती, उस व्यक्ति ने गोली चला दी थी। सब कुछ चंद सेकेंड में हो गया। जांच जारी है।”