Delhi Police vs Lawyers Clash Highlights: दिल्ली में वकीलों से झड़प को लेकर दिल्ली पुलिस कर्मचारियों का धरना शाम सात बजकर 45 मिनट पर खत्म हुआ। न्याय की मांग पर ITO स्थित पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करने वाले पुलिसकर्मी धीमे-धीमे ड्यूटी और घर लौटने लगे, जिसके बाद वहां ट्रैफिक व्यवस्थआ सुचारू ढंग से बहाल हो सकी।
जानकारी के मुताबिक, इन पुलिसकर्मियों द्वारा पुलिस यूनियन बनाने समेत सभी मांगें मान ली गई हैं, जबकि तीस हजारी कांड में घायल पुलिस वालों को 25 हजार रुपए मुआवजे के तौर पर दिए जाने का भी ऐलान किया गया है।
दरअसल, इन पुलिस वालों ने अपने साथियों की पिटाई के मामलों को लेकर यह प्रदर्शन किया था। पुलिस वालों ने इस दौरान अपनी असुरक्षा और आए-दिन पुलिस वालों से होने वाली मारपीट की घटनाओं का मुद्दा उठाया। शाम तक इन पुलिसकर्मियों को लगभग छह बड़े अधिकारियों ने काम पर लौटने के लिए समझाया। देखते ही देखते प्रदर्शन को 10 घंटे पूरे हुए, जिसके बाद इनका यह धरना समाप्त हुआ।
इससे पहले, शाम को ज्वॉइंट पुलिस कमिश्नर राजेश खुराना ने प्रदर्शनरत पुलिस वालों को समझाने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा था कि पुलिस ही कानून अमल में लाती है और इसी लिए उसके कर्मचारियों को काम पर वापस लौटना पड़ेगा। पुलिस वाले परिवार की तुलना में फील्ड और थानों पर व ड्यूटी के दौरान दोगुणा समय बिताते हैं। हम आपकी सभी मांगें मानने के लिए राजी हैं।


हजारों पुलिसर्किमयों ने अपने सहर्किमयों पर हमले में शामिल वकीलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए जब मंगलवार को ‘‘हमारा कमीशनर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो’’ के नारे लगाए तो इसने तीस हजारी अदालत परिसर में पुलिस-वकीलों की झड़प की 1988 की उस घटना की याद दिला दी जब दिल्ली की ‘‘सख्त मिजाज पुलिस अधिकारी’ ने वकीलों की नाराजगी मोल ली थी।
वह 1988 का जनवरी का महीना था जब दिल्ली पुलिस ने राजेश अग्निहोत्री नाम के वकील को गिरफ्तार किया था। सेंट स्टीफन कॉलेज के छात्रों ने उन्हें लेडीज कॉमन रूम से कथित तौर पर चोरी करते हुए पकड़ा था। घटना 16 जनवरी 1988 की है । पुलिस ने वकील अग्निहोत्री को हाथ में हथकड़ी लगाए तीस हजारी अदालत में पेश किया तो वकीलों ने इसे गैरकानूनी बताते हुए प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने वकील को उसी दिन दोषमुक्त कर दिया और साथ ही पुलिस आयुक्त को दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
इसी बीच, टीवी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गृह मंत्रालय इस पूरे प्रकरण पर नजर बनाए है। जांच भी चल रही है, जिसका निष्कर्ष कुछ समय में सामने आएगा। गृह सचिव ने इस बारे में गृह मंत्री अमित शाह को डिटेल में जानकारी मुहैया कराई है। वहीं, दिल्ली के डिप्टी-CM मनीष सिसोदिया ने इस पूरे प्रकरण को दुखद करार दिया है।
उपराज्यपाल अनिल बैजल ने वकीलों के साथ झड़प के बाद मंगलवार को दिल्ली पुलिस र्किमयों के अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर स्थिति की समीक्षा की और कहा कि पूरे मामले में निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करना अनिवार्य है। उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, विशेष आयुक्त (खुफिया) प्रवीर रंजन ने उपराज्यपाल को मौजूदा स्थिति और उच्च न्यायालय के संबंधित आदेशों के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि वकील और पुलिस आपराधिक न्याय प्रणाली के महत्वपूर्ण खंभे हैं और उन्हें पूर्ण सद्भाव के साथ काम करना चाहिए। बैजल बोले, ‘‘हालिया दुर्भाग्यपूर्ण घटना के मद्देनजर, दोनों के बीच विश्वास बहाल करना और यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि पूरे मामले में न्याय निष्पक्ष रूप से किया जाए।’’
स्पेशल पुलिस कमिश्नर (दिल्ली) आर एस कृष्णा ने ITO स्थित पुलिस मुख्यालय पर धरने पर बैठे सभी पुलिस वालों को समझाने-बुझाने की कोशिश की। उन्होंने कहा- मैं सभी से अपनी-अपनी ड्यूटी पर लौटने की गुजारिश करता हूं।
मामले में ताजा जानकारी के अनुसार, दिल्ली पुलिस के कर्मचारी इस केस को लेकर बुधवार को दिल्ली HC का रुख करेंगे। इसी बीच, पुलिस वालों के धरने को लगभग नौ घंटे पूरे होने के बाद उप राज्यपाल ने चुप्पी तोड़ी। उन्होंने शाम को घायलों के लिए मुआवाजे का ऐलान किया। साथ ही कहा कि जिन्हें-जिन्हें चोट लगी है, उन सबका इलाज कराया जाएगा।
उन्होंने मुख्यालय के बाहर एकत्रित हुए पुलिसर्किमयों से कहा, ‘‘बीते कुछ दिन हमारे लिए परीक्षा की घड़ी रहे हैं। न्यायिक जांच चल रही है और मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप प्रक्रिया में भरोसा बनाए रखें।’’ बता दें कि दिल्ली पुलिस में 80,000 से अधिक कर्मी हैं।
पटनायक ने कहा, ‘‘हमें एक अनुशासित बल की तरह व्यवहार करना होगा। सरकार और जनता हमसे कानून व्यवस्था को कायम रखने की उम्मीद रखती है, यह हमारी एक बड़ी जिम्मेदारी है। मैं अनुरोध करता हूं कि आप लोग काम पर लौट जाएं।’’
पुलिसर्किमयों और वकीलों के बीच तनाव के हालात शनिवार से बनने शुरू हो गए थे जब पार्किंग को लेकर हुई झड़प में कम से कम 20 पुलिसकर्मी और कई वकील घायल हो गए थे। प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मी बड़ी संख्या में आईटीओ स्थित पुलिस मुख्यालय के बाहर जमा होने लगे तो यातायात धीमा पड़ गया। ऐसे में पटनायक अपने कार्यालय से बाहर आए और उन्होंने पुलिसर्किमयों को आश्वस्त किया कि उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा।
दिल्ली के सैकड़ों पुलिसर्किमयों ने साकेत अदालत के बाहर सोमवार को अपने एक साथी पर हुए हमले के विरोध में पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और हमले में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। मंगलवार को पुलिसर्किमयों द्वारा प्रदर्शन करने की अभूतपूर्व घटना के चलते दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को उनसे ड्यूटी पर लौटने का अनुरोध करना पड़ा।