द्वारका जेजे कॉलोनी में रहने वाले बच्चे पुलिस की पाठशाला में ‘अ से आम और ए से एप्पल’ सीख रहे हैं। यहां के जरूरतमंद बच्चों के बीच शुरू इस पुलिस की पाठशाला में पढ़ाई के साथ-साथ कोरोना से बचने के उपाय भी बताए जा रहे हैं। दिल्ली पुलिस की जिप्सी पर पुलिस की पाठशाला का बैनर लगाकर पुलिस कर्मचारी इन बच्चों को दोपहर के समय धूप में उचित दूरी बनाकर बैठाते हैं और फिर उन्हें पढ़ाई कराते हैं। द्वारका जिला की सामुदायिक पुलिसिंग की टीम ने पुलिस की पाठशाला की शुरूआत की है। जिला पुलिस उपायुक्त संतोष कुमार मीणा ने बताया की झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले बच्चों की पढ़ाई के नुकसान को कम करने और उन्हें कोरोना को लेकर जागरूक होने के साथ साथ सतर्क रहने के लिए यह शुरूआत की गई है। सामुदायिक पुलिसिंग की टीम बच्चों को व्हाइट बोर्ड पर वर्णमाला, गिनती और अल्फाबेट पढ़ा रही है। टीम की मेहनत रंग दिखाने लगी है और बच्चे भी अब मन लगाकर पढ़ रहे हैं।

रोजाना दोपहर में लगती है पाठशाला
मीणा ने बताया की यह पाठशाला रोजाना दोपहर एक से चार बजे तक चलाई जा रही है। इस पाठशाला के माध्यम से पुलिस 15 से 20 बच्चों को जागरूक करने के लिए पढ़ाई के अलावा सामान्य ज्ञान और कोरोना संबंधी मुद्दों के बारे में जानकारी दे रही है। कोरोना से बचने के लिए बताए जा रहे उपायों को प्रयोग करके भी बताया जा रहा है। जिसमें हाथ की सफाई (सैनिटाइजेशन) से लेकर उन्हें मास्क पहनने और उचित दूरी आदि की जानकारी शामिल है।

मीणा ने बताया कि हम दोस्त बनकर और सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए पूर्णबंदी के समय से ही द्वारका जिला की सामुदायिक पुलिस की टीम लोगों को खाना खिलाने से लेकर उनका जन्मदिन मनाने और जरूरत की चीजें तक उपलब्ध करवाकर मदद कर रही थी। और अब पुलिस की पाठशाला शुरू कर बच्चों को पढ़ाने का सामाजिक दायित्व पूरा किया जा रहा है। यह अभियान जरूरतमंद बच्चों के लिए चलाया गया है।

‘पुलिस अंकल ने हमारे लिए स्कूल जैसा बंदोबस्त किया’
नजफगढ़ के साई बाबा मंदिर के सामने की जेजे कॉलोनी में रहने वाले राहुल का कहना है कि कोरोना में स्कूल बंद हंै लेकिन पुलिस अंकल ने हमारे लिए स्कूल जैसा बंदोबस्त कर पढ़ाई शुरू की है। ऐसे स्कूल से हमें नई-नई जानकारी मिल रही है। गोयला डेयरी जेजे कॉलोनी के पप्पू का कहना है कि हमें मास्क लगाकर प्राथमिक शिक्षा के मामले में यहां सब कुछ शुरू से बताया जा रहा है। पुलिस पाठशाला में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले राधे का कहना है कि अगर दिल्ली के हर गली मोहल्ले में इसी तरह के स्कूल खुल जाएं तो कोई बच्चा अनपढ़ नहीं रहेगा।