तबलीगी जमात के मामले में दिल्ली पुलिस ने जो चार्जशीट दाखिल की है, उसमें दावा किया गया है कि दिल्ली में तबलीगी जमात की मरकज होने से पहले मार्च में मलेशिया में भी ऐसी मरकज हुई थी, जहां कोरोना वायरस के कई मामले मिले थे। चार्जशीट के अनुसार, “यह कहना गलत नहीं होगा कि मरकज में शामिल हुए कुछ विदेशी कोरोना वायरस के कैरियर थे और अपने देशों से कोरोना का संक्रमण हमारे देश में लेकर आए।”
चार्जशीट में बताया गया है कि मलेशिया में हुई मरकज 27 फरवरी से 1 मार्च के बीच हुई थी। जिसके बाद मलेशिया में कोरोना के 500 मामले पाए गए थे। इंडोनेशिया में भी 18 मार्च को मरकज प्रस्तावित थी, जिसे बाद में कोरोना संक्रमण फैलने के डर से रद्द कर दिया गया था।
पुलिस का कहना है कि मलेशिया और इंडोनेशिया समेत अन्य देशों के लोग फिर भारत पहुंचे और निजामुद्दीन मरकज में शिरकत की और यहां संक्रमण फैलाया।
चार्जशीट में इस बात का भी उल्लेख है कि दक्षिणपूर्वी जिले के शीर्ष अधिकारियों ने मरकज अथॉरिटी से पहली बार 19 मार्च को संपर्क किया था, जिसमें मरकज में शामिल लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के निर्देश दिए गए थे। उसी दिन दिल्ली पुलिस ने मरकज के हाजी यूनुस को संपर्क कर मरकज में 20 से ज्यादा जमातियों को शामिल नहीं करने की बात कही थी।
21 मार्च को पुलिस ने फिर से मुफ्ती शहजाद से मिलकर विदेशी नागरिकों को उनके देश वापस भेजने को कहा था। 24 मार्च को लॉकडाउन होने के बाद दिल्ली पुलिस ने प्रतिबंध संबंधी आदेश जारी किए थे लेकिन मरकज में किसी ने भी इनकी तरफ ध्यान नहीं दिया।
चार्जशीट में कहा गया है कि 25 मार्च को मरकज में शामिल एक बांग्लादेशी नागरिक में कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखाई देने के बाद एक मेडिकल टीम वहां पहुंची थी, जिसने देखा था कि मरकज में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा है। इसके अगले दिन दिल्ली पुलिस ने जब मरकज बिल्डिंग का दौरा किया तो वहां 526 विदेशी और 1183 भारतीय नागरिक पाए गए थे।
28 मार्च को हजरत निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन के एसएचओ की लिखित शिकायत पर तबलीगी जमात के चीफ मौलान साद और मरकज अथॉरिटी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।

