दिल्लीवासियों को पिछले कुछ महीनों से बेहद खतरनाक प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार 400 के पार बना हुआ है जो गंभीर श्रेणी में आता है। पूरे दिल्ली-एनसीआर में घना कोहरा और धुंध छायी रहती है और लोगों को सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है । इस सबके बीच एनसीआर में स्वस्थ मरीज भी फेफड़ों की जांच करवा रहे हैं। कई मरीज नोएडा और गाजियाबाद के अस्पतालों में इलाज के लिए कतार में खड़े हैं, जिन्हें फेफड़ों से संबंधित कोई समस्या नहीं है लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें एहतियाती उपाय के रूप में पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (PFT) कराने की सलाह दी है।

ऐसे ही लगातार सूखी खांसी से पीड़ित 19 वर्षीय एक छात्र परामर्श के लिए गाजियाबाद के यशोदा मेडिसिटी पहुंचा। उसने इंडियन एक्स्प्रेस को बताया, “पिछले एक हफ्ते से मेरा गला भारी लग रहा था और मुझे सूखी खांसी थी। मैंने इसे नजरअंदाज कर दिया, यह सोचकर कि यह सामान्य सर्दी के लक्षण हैं। कल रात कॉलेज से लौटने के बाद, मुझे अचानक सीने में जकड़न और सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई। यह पूरी रात बनी रही।” उसने बताया की वह इस साल की शुरुआत में ही दिल्ली आया था।

सांस लेने में तकलीफ या लगातार खांसी होने पर फेफड़ों की जांच कराने की सलाह

यशोदा मेडिसिटी में श्वसन एवं निद्रा विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ अंकित भाटिया ने बताया कि उन्होंने 19 वर्षीय छात्र के फेफड़ों की जांच कराने की सिफारिश की थी जबकि उसे अस्थमा, एलर्जी या किसी भी प्रकार की पुरानी श्वसन संबंधी बीमारी का इतिहास नहीं था। डॉ भाटिया ने कहा, “वह कॉलेज आने-जाने के लिए सार्वजनिक बसों और मेट्रो ट्रेनों का इस्तेमाल करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि वह सड़क किनारे के यातायात प्रदूषण के संपर्क में आया है।” उन्होंने आगे कहा, “प्रदूषण अब उन लोगों में भी वायुमार्ग अवरोध पैदा कर रहा है जिन्हें पहले कभी श्वसन संबंधी कोई शिकायत नहीं थी। ऐसे में हम उन युवा वयस्कों को पीएफटी (फेफड़े की जांच) कराने की सलाह देते हैं जिन्हें सांस लेने में तकलीफ या लगातार खांसी हो रही है।”

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इस परीक्षण में 10 से 15 मिनट लगते हैं और इसकी कीमत 2,499 रुपये है। अस्पतालों ने बताया कि कई लोग – विशेषकर युवा पेशेवर और बाहरी कार्यों में लगे लोग – पहली बार इन पैकेजों का विकल्प चुन रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह परीक्षण इस मौसम में जरूरी बन गया है जो सांस लेने में दिक्कत और फेफड़ों में प्रदूषण से संबंधित अन्य परिवर्तनों की पहचान करने में मदद करता है।

पीएफटी टेस्ट कराने वाले मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि

नोएडा के फेलिक्स अस्पताल में डॉक्टरों ने पहली बार पीएफटी टेस्ट कराने वाले मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज की।  श्वसन, गहन देखभाल और निद्रा चिकित्सा विभाग के डॉ. प्रियदर्शी जे कुमार ने कहा, “अगर किसी व्यक्ति को कुछ दिनों से लगातार खांसी, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और घरघराहट हो रही है और उसे फेफड़ों की कोई बीमारी नहीं है, तो हम फेफड़ों की जांच कराने की सलाह देते हैं। आजकल हम स्कूली बच्चों को भी यही सलाह दे रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “शुरुआत में, हम बुनियादी परीक्षणों की सलाह देते हैं, लेकिन अगर व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत होती है, तो हम पीएफटी (फेफड़े की जांच) की सलाह देते हैं।”

नोएडा के यथार्थ अस्पताल में क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के निदेशक डॉ. विपुल मिश्रा ने बताया कि गर्मियों की तुलना में फेफड़ों से संबंधित समस्याओं में 40% की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, “हम मरीजों को पीएफटी (फेफड़ों की स्थिति) जांच कराने के लिए कहते हैं, भले ही उन्हें पहले से कोई फेफड़ों की बीमारी न हो और वे धूम्रपान न करते हों।”