कुनबे की चिंता
कब कौन नेता या उनके समर्थक किसी दल का दामन थाम लें कहा नहीं जा सकता। बीते दिनों दिल्ली में नेताओं के पार्टी छोड़ने और दूसरे दल में शामिल होने को लेकर जमकर बयानबाजी हुई। सत्ता पर काबिज दल के नेताओं ने बयान जारी कर हंगामा मचा दिया कि विपक्षी नेता पार्टी में शामिल होने का मन बना चुके हैं। जैसे ही इसकी जानकारी दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष को मिली तो उन्हें लगा कि अगर कोई पार्टी छोड़ चला गया तो सभी यही कहेंगे कि अपना कुनबा संभाल पाने में सफल नहीं है।
इसका नतीजा यह हुआ कि कुछ ही घंटे के अंदर पार्टी ने एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि हमारी पार्टी के तो नहीं। पर सत्ता में काबिज पार्टी के नेता विपक्ष में शामिल होने की मंशा बना रहे हैं। इसके पीछे तर्क दिया गया कि सूबे की सत्ता पर काबिज पार्टी के मुखिया वन-मैन-आर्मी बन गए हैं। वह किसी की बात नहीं सुनते। आने वाले दिनों में देखना बड़ा ही दिलचस्प होगा कि किस पार्टी के नेता हाथ के साथ जाता है या फिर हाथ का साथ छोड़ सत्ता पर काबिज पार्टी का दामन थामते हैं।
महंगी पड़ी चालाकी
कई बार चालाकी मंहगी पड़ जाती है। ऐसा ही दिखा बीते दिनों पटियाला हाउस कोर्ट में, जब चालाकी पकड़े जाने पर एक कैदी को मिली जमानत को रद्द होना पड़ा। हुआ यों कि एक मामले में कैदी ने डाक्टर का फर्जी सर्टिफिकेट जमा कर जमानत पाते ही इस तरकीब को धंधा बना लिया। कई अन्य कैदियों को इसी तरकीब से जमानत दिलाने लगा। जब मामला जज के संज्ञान में आया तो जांच हुई। पता चला कि कई कैदियों ने अपनी पत्नी के गर्भाश्य में गांठ होने की बात कहकर तत्काल आपरेशन के लिए राहत ले ली थी। बस क्या था, कैदी बाबू फिर अंदर। किसी ने ठीक ही कहा, चालाकी को धंधा बनाना मंहगा पड़ा, नहीं तो कोरोना के कारण उसे ठीक ही राहत मिल गई थी।
सफाई बनी चुनौती
औद्योगिक महानगर में सफाई व्यवस्था को लेकर पूर्ववर्ती अधिकारियों की नीतियों का खामियाजा कोरोना काल में शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है। संविदा के तहत रखे गए सफाई कर्मी अब अपनी मांगों को मनवाने के लिए हड़ताल कर रहे हैं। यह सब तब हो रहा है, जब छह महीने के लिए हड़ताल प्रदर्शन आदि पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है। वहीं, सड़कों पर कूड़ा इकट्ठा होने से बारिश के मौसम में महामारी फैलने का खतरा भी बढ़-चढ़ कर लोगों को बताया जा रहा है।
नतीजन हड़ताल पर रोक के बावजूद प्राधिकरण अधिकारी सख्ती के बजाए मान-मनोव्वल कर हड़ताली सफाई कर्मचारियों को मनाने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि हड़ताल कर रहे कर्मचारी ठेकेदार के तहत काम करते हैं। जो अब खुद को नियमित करने, समान वेतन मान, बोनस समेत अन्य मांगें कर रहे हैं। इसी कड़ी में कुछ दिनों पहले सफाई कर्मियों के काम नहीं करने पर प्राधिकरण के एक अधिकारी की टिप्पणी का आडियो वायरल कर सफाई कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया था। अपशब्द बोलने का आरोप लगाकर सफाई कर्मियों के नेताओं ने अधिकारी को हटाने की मांग की थी। तब उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद दोनों पक्षों में रजामंदी कराई गई थी।
विशेष तोहफा
सूबे की मुख्यमंत्री को रविवार को कई लोगों ने जन्मदिन की बधाई अपने-अपने तौर तरीकों से दी। पर विपक्ष के एक नेता ने जन्मदिन की बधाई के साथ तो तोहफा भेजा। उसको लेकर दिल्ली की राजनीति में जमकर चर्चाएं होने लगीं। मुख्यमंत्री को भेजे गए तोहफे का चर्चा ना केवल सत्ता पर काबिज पार्टियों के नेताओं के बीच हो रही थी, बल्कि विपक्षी पार्टी के बीच भी हो रही थी। भेजने वाले नेता ने ट्वीट कर बताया कि सूबे के मुख्यमंत्री को भूलने की बीमारी हो गई है। यही कारण है कि उन्हें बदाम, ग्लूकॉनडी और अन्य सामान भेज रहे हैं, ताकि मुख्यमंत्री को चुनाव से पूर्व किए गए जनलोकपाल बिल, स्वराज बिल और निगम कर्मचारियों के परिवार को जो मुआवजा देने का वादा किया था। उसे याद कर पाएं और अपने चुनावी वादों को जल्दी से जल्दी लागू करें।
-बेदिल

