दिल्ली में 300 करोड़ के दवाई घोटाले का जिक्र अचानक से शुरू हो गया है। आरोप लगाया गया है कि दिल्ली सरकार ने जो दवाइयां खरीदी हैं, उनमें कई तरह की अनियमितता देखने को मिली हैं। इस मामले में एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई को जांच करने के आदेश दे दिए हैं। इस वजह से एक बार फिर केजरीवाल सरकार और एलजी के बीच में तकरार बढ़ने जा रही है।
300 करोड़ का घोटाला क्या है?
जानकारी के लिए बता दें कि सबसे पहले बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने अवांछित दवाओं की खरीद में 300 करोड़ रुपये का घोटाला किया और उसमें पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन भी शामिल रहे। वैसे यहां ये समझना जरूरी है कि इस मामले की जांच साल 2017 में शुरू हुई थी। आम आदमी पार्टी का इस पर कहना है कि दिल्ली सरकार ने खुद एलजी को एक अधिकारी के खिलाफ शिकायत दी थी।
उस अधिकारी का नाम दीपक कुमार था जिस पर आरोप लगा कि उसने राज्य सरकार की फरिश्ते योजना को रोक दिया था। उस समय आप सरकार ने एलजी से पूछा था कि क्या वे इस अधिकारी के खिलाफ एक्शन लेंगे या नहीं। अब उस अधिकारी को लेकर तो इनपुट ज्यादा नहीं आया है, लेकिन इस मामले में सीबीआई की एंट्री से कई तरह की दुविधाएं बढ़ गई हैं।
एलजी को और क्या पता चला?
इस मामले एलजी कार्यालय का कहना है कि अस्पतालों को खराब गुणवक्ता वाली दवाइयां मिली हैं। यहां तक कहा गया है कि 10 फीसदी दवाई के नमूने ही फेल हो गए। अभी के लिए एलजी ने तो विजिलेंस विभाग की रिपोर्ट के आधार पर ही ये जांच के आदेश दिए हैं। वैसे जिन दवाइयों के सैंपल फेल हुए हैं, अस्पतालों में उनका काफी इस्तेमाल रहता है। बताया जा रहा है कि Amlodipine, Levetiracetam, Pantoprazole जैसी दवाएं लैब टेस्ट में फेल हो गई हैं. इसके अलावा Cephalexin, Dexamethasone भी निजी लैब में फेल हो गए हैं.