ED Arrest Arvind Kejriwal: दिल्ली शराब घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुरुवार को नौवीं बार प्रवर्तन निदेशालय के समन पर पेश नहीं हुए। इसके बाद ईडी और दिल्ली पुलिस की टीम केजरीवाल के आवास पर पहुंची। सर्च ऑपरेशन चलाने के बाद अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया है। ईडी ने यह कदम दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आप के राज्यसभा सांसद को गिरफ्तार करने के बाद आया है। ऐसे में अब यह सवाल उठ रहा है कि केजरीवाल की टीम का अगला कदम क्या होगा? केजरीवाल को किस तरह राहत मिल सकती है?

केजरीवाल के पास क्या हैं कानूनी विकल्प

सीएम अरविंद केजरीवाल की तत्काल कार्रवाई निचली अदालत से जमानत लेने की हो सकती है। यदि नहीं, तो उसका दूसरा ऑप्शन अपनी गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील करना होगा। हालांकि, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के वेकेशन अफसर को अप्रोच करना होता है। वेकेशन अफसर केस की अहमियत देखते हुए फाइल को चीफ जस्टिस को आगे भेजते हैं। इसके बाद मुख्य न्यायधीश तय करते हैं कि इस केस में अर्जेंट सुनवाई करनी है या नहीं।

अरविंद केजरीवाल को मिलेगी जमानत?

अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तारी से राहत नहीं मिलने पर जमानत अर्जी के दाखिल करनी होगी। हालांकि, इस केस में अभी तक के उदाहरण देखें जाए तो नेताओं को जमानत मिलना बेहद ही मुश्किल रहा है। आम आदमी पार्टी के दूसरे नंबर के नेता और दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पिछले साल फरवरी से जेल में बंद हैं। वहीं, आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी पिछले साल अगस्त से जेल में बंद है। इन दोनों नेताओं ने भी अपनी जमानत अर्जी निचली अदालत में दी थी लेकिन वहां पर बात नहीं बन सकी। इसी तरह हाईकोर्ट से जमानत अर्जियां भी बेकार ही रही हैं। संजय सिंह की जमानत अर्जी और गिरफ्तारी की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित चल रही हैं।

शराब घोटाला बना गले की फांस

पिछले साल 2021-22 में केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में नई शराब नीति की घोषणा की गई थी। यानी दिल्ली में शराब की बिक्री सरकार से लेकर 4 निगमों के हाथ में आ गई थी। कुल शराब बिक्री का 50 फीसदी इन्हीं 4 कॉर्पोरेट क्षेत्रों में होता है। दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया है और 849 खुदरा दुकानों को लाइसेंस दिया गया है। शिकायत है कि इसमें कई अनियमितताएं बरती गई थी। आरोप पत्र में कहा गया है कि शराब बेचने के लाइसेंसधारियों के 144.36 करोड़ रुपये से ज्यादा माफ कर दिए गए और एक कंपनी की 30 करोड़ रुपये की जमा राशि नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किए बिना वापस कर दी गई। इसके बाद राज्यपाल सक्सेना ने पिछले साल अप्रैल में मुख्य सचिव से इन अनियमितताओं पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। इसी रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। वहीं, प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच शुरू कर दी।