दिल्ली के जेलों में कैदी किस तरह से रहते हैं, इसे लेकर कई रिपोर्ट प्रकाशित हो चुकी हैं। कई मौकों पर ऐसे दावे हुए हैं जिन्होंने सभी को हैरान किया। अब इसी कड़ी में जजों की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसने राजधानी के जेलों की पोल खोल कर रख दी है। असल में कोर्ट के कहने के बाद ही जजों की एक कमेटी ने तिहाड़ और दूसरे जेलों का निरीक्षण किया था।

रिपोर्ट में क्या-क्या लिखा?

निरीक्षण के बाद रिपोर्ट में कहा गया कि तिहाड़ में कैदियों की हालत काफी खराब है, वे जिन टॉयलेट का इस्तेमाल भी कर रहे हैं, उनकी ठीक तरह से सफाई नहीं होती है। वहां गंदगी पड़ी रहती है, मच्छर घूम रहे होते हैं। हैरानी की बात यह है कि कई कैदियों को अपने हाथ से ही टॉयलेट साफ करना पड़ता है, हाथों से मैला धोना पड़ता है। रिपोर्ट में जज भी इस बात स्तब्ध रह गए हैं कि इस प्रकार का काम भी कैदियों को करना पड़ रहा है। बताया तो यहां तक गया है कि कई टॉयलेट में फ्लश तक काम नहीं कर रहे थे, कई दिनों तक गंदगी पड़ी हुई थी।

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कोर्ट ने क्या कहा है?

अब इस प्रकार की रिपोर्ट देख दिल्ली हाई कोर्ट भी खासा नाराज हो गया। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि तय समय सीमा में सभी जेलों के टॉयलेस्ट का निरीक्षण करवाया जाए और जहां जरूरत वहां मरम्मत का काम भी किया जाए। चार महीने के अंदर में टॉयलेटों की स्थिति सुधारने के लिए कहा गया है। कोर्ट ने इस बात पर भी ध्यान दिया है कि कई जेलों में कैदी ज्यादा हैं और टॉयलेट कम, ऐसे में जरूरत पड़ने पर सरकार को अतरिक्त टॉयलेट भी बनाने के लिए बोला गया है।

दिल्ली सरकार का रुख?

वैसे सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया है कि अगर कैदी टॉयलेट की सफाई कर भी रहा है तो जेल मैन्युअल के हिसाब से दैनिक मजदूरी दी जानी चाहिए। अब यह कोई पहली बार नहीं है जब कैदियों के अधिकारों को लेकर सुनवाई हुई हो। इससे पहले भी कैदियों की स्थिति, उनके अधिकार, उनकी मांगों को लेकर कोर्ट में बहस हो चुकी है। वैसे दिल्ली सरकार के वकील ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि राजधानी के जेलों में टॉयलेट्स की स्थिति दयनीय है और उसमें सुधार की सख्त जरूरत है।