Delhi High Court Maintenance Cases in favour of Wife: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए माना कि पति के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की वजह से महिला को अपना वैवाहिक घर छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा। कोर्ट ने माना कि इस मामले में महिला घरेलू हिंसा का शिकार हुई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी सेशन कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए की।
सेशन कोर्ट ने अपने आदेश में पति को हर महीने अपनी पत्नी को मेंटेनेंस के रूप में 30,000 रुपये देने के निर्देश दिए थे। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पति ने तर्क दिया था कि उसकी पत्नी एक सक्षम महिला है और इस वजह से उसे “कानून का गलत इस्तेमाल करके याचिकाकर्ता पर पैरासाइट बनने की इजाजत नहीं दी जा सकती”।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि 10 सितंबर को जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले में सेशन कोर्ट के आदेश में इंटरफेयर करने से इनकार कर दिया गया। हाईकोर्ट ने माना कि महिला के सक्षम होने से पति को अपनी पत्नी और बच्चों को मेंटेनेंस न देने से छूट नहीं मिल जाती। कोर्ट ने रिकॉर्ड किया कि यह तर्क कि “प्रतिवादी (respondent) सिर्फ एक पैरासाइट है और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहा है, न सिर्फ प्रतिवादी का बल्कि समस्त महिला जाति का अपमान है”।
दूसरी महिला के साथ रह रहा है शख्स
कोर्ट ने ऑब्जर्व किया, “कंप्लेनट में… कहा गया है कि याचिकाकर्ता (petitioner) द्वारा उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। कोई भी महिला यह बर्दाश्त नहीं कर सकती कि उसका पति किसी दूसरी महिला के साथ रह रहा है और उसका एक बच्चा भी है। ये सभी फैक्ट्स प्रतिवादी (respondent)/ पत्नी को डोमेस्टिक वायलेंस का शिकार बनाते हैं। याचिकाकर्ता की यह दलील कि प्रतिवादी / पत्नी द्वारा दायर की गई शिकायत डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट के दायरे में नहीं आती है, स्वीकार नहीं की जा सकती। प्रतिवादी को अपना वैवाहिक घर छोड़ना पड़ा क्योंकि वह यह बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी कि उसका पति किसी दूसरी महिला के साथ रह रहा है। चूंकि प्रतिवादी / पत्नी अपने दो बच्चों की देखभाल करने की स्थिति में नहीं थी, इसलिए उसके पास उन्हें याचिकाकर्ता के माता-पिता के पास छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। मामले के अजीबोगरीब फैक्ट्स को देखते हुए, प्रतिवादी / पत्नी के एक्शन में कोई दोष नहीं पाया जा सकता है।”
कोर्ट ने पति की दलीलों को कर दिया खारिज
पति की दलीलों को खारिज करते हुए कोर्ट ने रिकॉर्ड किया, “याचिकाकर्ता की फाइनेंशियल और एसेट प्रोफाइल उसकी कंफर्टेबल और एफ्लुएंट लाइफ दिखाती है। इसलिए वो प्रतिवादी / पत्नी को हर महीने 30,000 रुपये मेंटेनेंस देने की स्थिति में है…यह फैक्ट कि प्रतिवादी सक्षम है और आजीविका कमा सकती है, एक पति को अपनी पत्नी और बच्चों को मेंटेनेंस न करने के लिए बाध्य नहीं करता है… यह तर्क कि प्रतिवादी सिर्फ एक पैराइट है और कानून की प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल कर रहा है, न केवल प्रतिवादी के लिए बल्कि पूरी महिला जाति के लिए अपमान के अलावा कुछ नहीं है।”