दिल्ली उच्च न्यायालय में भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्मय स्वामी ने एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को रद्द करने की अर्जी दी थी। जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। बता दें कि स्वामी अपनी याचिका में एयर इंडिया की नीलामी का विरोध किया था और साथ ही अधिकारियों द्वारा इसे मिली मंजूरी पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने बृहस्पतिवार को इसपर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि इस याचिका को हम खारिज करते हैं। अदालत ने यह भी कहा कि विनिवेश पर निर्णय बहुस्तरीय माध्यम से पारदर्शी प्रक्रिया का पालन करने के बाद लिया गया था।
दरअसल स्वामी ने अपनी याचिका में नीलामी में अधिकारियों की भूमिका और उनकी कार्यशैली को लेकर सीबीआई जांच कराने का अनुरोध किया था।
सरकार का पक्ष: स्वामी की दलील पर केंद्र सरकार ने विरोध जताया था। केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि राष्ट्रीय विमानन घाटे में थी। ऐसे में सरकार द्वारा विनिवेश का फैसला लिया गया जोकि एक नीतिगत फैसला था। उन्होंने कहा था कि सौदे के बारे में कुछ भी छिपाया नहीं था।
टाटा की दलील: एयर इंडिया को खरीदने वाली टाटा ग्रुप की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अपनी दलील में कहा था कि टाटा सफल बोली लगाने वाली 100 फीसदी भारतीय कंपनी है और भ्रष्टाचार के जो आरोप लगाये गये वो बिना किसी आधार के हैं। उन्होंने कहा था कि साल 2017 से ही सरकार को एयरलाइन को बेचने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस याचिका में कुछ भी नहीं है। कोई जानकारी नहीं दी गई है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल अक्तूबर में एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के 100 फीसदी शेयरों के साथ-साथ ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी एआईएसएटीएस में 50 फीसदी हिस्सेदारी के लिए टाटा संस की एक कंपनी द्वारा पेश की गई उच्चतम बोली को स्वीकार किया था।