Delhi High Court News: दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता राजीव चंद्रशेखर की याचिका पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर को नोटिस जारी किया है। मजिस्ट्रेट कोर्ट के 4 फरवरी के फैसले को चुनौती देने वाली चंद्रशेखर की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए जस्टिस रविंदर डुडेजा ने कहा कि मामले पर विचार किए जाने की जरूरत है। जस्टिस डुडेजा ने थरूर से जवाब मांगा और मामले की सुनवाई 16 सितंबर के लिए लिस्ट कर दिया।

इसने आगे आदेश दिया कि ट्रायल कोर्ट का रिकॉर्ड डिजिटल रूप में मांगा जाए। चंद्रशेखर ने 04 फरवरी को पारित ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। उस आदेश के तहत एसीजेएम ने मामले में थरूर को तलब करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि प्रथम दृष्टया मानहानि का कोई तत्व नहीं बनता है। ट्रायल कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में चंद्रशेखर की शिकायत पर संज्ञान लिया था।

बीजेपी नेता ने क्या लगाए आरोप

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी नेता चंद्रशेखर ने मामला दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि थरूर ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर यह झूठा बयान देकर उनकी मानहानि की है कि वह तिरुवनंतपुरम निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं को रिश्वत दे रहे हैं। इससे संबंधित एक घटनाक्रम में दिल्ली हाई कोर्ट ने चंद्रशेखर द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में थरूर को समन भेजा था। मुकदमे में बीजेपी नेता ने इंटरव्यू में कथित तौर पर अपमानजनक बयानों के कारण थरूर के लिए हर्जाना मांगा है। चंद्रशेखर की शिकायत में कहा गया है कि थरूर के कहने पर उनका इंटरव्यू तमाम समाचार चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर छपे। इससे समाज में उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि इस स्थिति की वजह से उन्हें 2024 का लोकसभा चुनाव हारना पड़ा।

शशि थरूर के नाम से ‘अपने’ क्यों नाराज?

कौन हैं शशि थरूर

शशि थरूर भारतीय राजनीति में एक बड़ा नाम हैं। वह 2009 से 2010 तक और फिर 2012 से 2014 तक भारत सरकार में दो बार मंत्री बने। वह कई किताबें भी लिख चुके हैं। 2009 में थरूर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। उस सल मई में उन्होंने केरल के तिरुवनंतपुरम से लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। ​​चुनाव के तुरंत बाद उन्हें कांग्रेस सरकार में विदेश मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री नियुक्त किया गया। उनका पहला कार्यकाल एक साल से भी कम समय तक चला था। उन्होंने अप्रैल 2010 में मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया।

इसके बाद थरूर लोकसभा में सक्रिय रहे और विदेश मामलों और रक्षा पर केंद्रित समितियों में शामिल रहे। अक्टूबर 2012 में थरूर को मानव संसाधन विकास मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री नियुक्त किया गया। उन्होंने अपने दूसरे मंत्री कार्यकाल में भी विवादों को जन्म दिया। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनावों में अपनी सीट बरकरार रखी, लेकिन संसदीय चुनावों में विजयी बीजेपी द्वारा यूपीए सरकार को सत्ता से बेदखल किए जाने पर उन्होंने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।