Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया। केस दिल्ली कथित शराब घोटाले से जुड़ा है।
हाईकोर्ट ने पूर्व दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) को नोटिस जारी किया है। केजरीवाल ने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उन्होंने एक्साइज पॉलिसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय की अभियोजन शिकायतों पर संज्ञान लेने के लिए मंजूरी नहीं मिलने का हवाला दिया था। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 20 दिसंबर 2024 की तारीख तय की है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने ईडी को याचिका पर जवाब देने के लिए समय दिया। हालांकि, कोर्ट ने आज के लिए स्थगन आवेदन पर कोई आदेश पारित नहीं किया।
केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन और रेबेका एम जॉन उपस्थित हुए। ईडी की ओर से एसजीआई तुषार मेहता उपस्थित हुए। शुरुआत में मेहता ने दलील दी कि अभियोजन के लिए मंजूरी मिल चुकी है और उन्होंने मामले में हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगा।
हरिहरन ने दलील दी कि ईडी द्वारा दायर सातवीं पूरक चार्जशीट जिसमें केजरीवाल को आरोपी बनाया गया है, छठी पूरक चार्जशीट से “शब्दशः एक जैसी” है। उन्होंने कहा कि इसे जांच के दौरान एकत्र की गई किसी भी नई सामग्री के बिना दायर किया गया था और यहां तक कि दोनों चार्जशीट में गवाह भी एक जैसे थे।
हालांकि, एसजीआई ने इस दलील पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह तथ्यात्मक रूप से गलत है और कहा कि आगे की जांच ईडी द्वारा की गई थी। उन्होंने कहा कि इसी दलील को ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इस पर हरिहरन ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने कभी भी उक्त पहलू पर विचार ही नहीं किया।
जब हरिहरन ने इस बात पर जोर दिया कि स्थगन आवेदन का आज ही निपटारा कर दिया जाए, तो अदालत ने मामले की सुनवाई 20 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।
केजरीवाल ने इस आधार पर विवादित आदेश को चुनौती दी है कि उनके विरुद्ध दायर की गई अभियोजन पक्ष की सातवीं शिकायत क्षेत्राधिकार से बाहर है, क्योंकि इसे जांच के दौरान कोई नई सामग्री एकत्र किए बिना ही दायर किया गया था , बल्कि केवल पहले से एकत्र सामग्री का पुनर्मूल्यांकन करके दायर किया गया था, जो कानून की नजर में अस्वीकार्य है।
उन्होंने कहा है कि ईडी द्वारा की गई आगे की जांच अधिकार क्षेत्र के बाहर थी, क्योंकि विनय त्यागी बनाम इरशाद अली (2013) 5 एससीसी 762 और विनुभाई हरिभाई मालवीय बनाम गुजरात राज्य (2019) 17 एससीसी 1 में निर्धारित कानून के अनुसार ट्रायल कोर्ट की अनुमति नहीं दी गई थी।
इसके अलावा, याचिका में कहा गया है कि 7वें अनुपूरक आरोपपत्र पर संज्ञान लेने वाला आदेश भी कानून की दृष्टि से गलत है, क्योंकि केजरीवाल के संबंध में सीआरपीसी की धारा 197 के तहत कोई मंजूरी नहीं दी गई थी।
हाल ही में कोर्ट ने केजरीवाल की उस याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें उन्होंने मामले में ईडी की शिकायत की वैधता को चुनौती दी थी। उन्होंने ईडी की शिकायत पर उन्हें जारी समन को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को भी चुनौती दी थी। केजरीवाल को शराब नीति मामले से जुड़े ईडी और सीबीआई दोनों मामलों में जमानत मिल चुकी है। आप प्रमुख को 26 जून को सीबीआई ने औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था, जबकि वह धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में थे।