Delhi Government Schools: दिल्ली की रेखा सरकार में शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने शनिवार को शहीदों के सम्मान में बड़ी बात कही। आशीष सूद ने कहा कि उनकी सरकार स्थानीय शहीदों के नाम पर सरकारी स्कलों का नाम बदलने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि इससे छात्रों और नागरिकों में देशभक्ति की भावना पैदा होगी। शिक्षा मंत्री शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के शिवाजी कॉलेज में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। यहां शहीदों को श्रद्धांजलि के साथ कारगिल विजय दिवस मनाया गया।

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिवाजी कॉलेज में आयोजित कारगिल विजय दिवस समारोह में बोलते हुए सूद ने कहा कि इस कदम से भावी पीढ़ियों को अपने समुदायों की साहस और बलिदान की कहानियों से जुड़ने में मदद मिलेगी।

शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले हमारे कई युवा सैनिक दिल्ली से थे और इसी कॉलेज के पूर्व छात्र भी थे। उन्होंने कैप्टन सुमित रॉय, कैप्टन हनीफ-उद-दीन और कैप्टन अनुज नैयर का ज़िक्र करते हुए कहा, जो शिवाजी कॉलेज के पूर्व छात्र थे और 1999 के युद्ध में शहीद हो गए थे। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे शहीदों के नाम पर स्कूलों का नाम रखना छात्रों को रोज़ाना याद दिलाएगा कि राष्ट्र के प्रति कर्तव्य का असली मतलब क्या होता है। इस कार्यक्रम में छात्र, संकाय सदस्य और शहीदों के परिवार के सदस्य शामिल हुए। जिनमें कैप्टन सुमित रॉय की मां श्रीमती स्वप्ना रॉय भी शामिल थीं।

सूद ने कहा कि प्रस्तावित स्कूल नामकरण पहल सार्वजनिक शिक्षा में राष्ट्रीय गौरव और नागरिक ज़िम्मेदारी को शामिल करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि देश के लिए बलिदान सिर्फ़ पाठ्यपुस्तक का एक अध्याय नहीं होना चाहिए। यह उन संस्थानों में भी दिखाई देना चाहिए जहां हम पढ़ते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय नायकों के नाम पर बने स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र राष्ट्रीय सेवा से और भी ज़्यादा व्यक्तिगत जुड़ाव के साथ बड़े होंगे। सूद ने कहा कि हम चाहते हैं कि बच्चे जानें कि ये हमारे शहर और हमारे आस-पड़ोस के युवा थे, जिन्होंने हमें आज़ादी से जीने के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। मंत्री ने कहा कि स्कूलों के नामों के माध्यम से उन्हें सम्मानित करने से उनकी विरासत को सार्वजनिक स्मृति में स्थायित्व मिलेगा।

उन्होंने मोदी सरकार के दौरान स्थापित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को भी इसी दिशा में एक कदम बताया। उन्होंने कहा कि अब हर शाम इस स्मारक पर एक शहीद के परिवार को सम्मानित किया जाता है। हमें स्कूलों सहित हर जगह ऐसी ही संस्कृति विकसित करनी चाहिए।

मंत्री कार्यालय ने शनिवार को एक बयान में कहा कि इससे छात्रों और नागरिकों दोनों को प्रेरणा मिलेगी तथा युवा पीढ़ी में कर्तव्य और देशभक्ति की भावना पैदा होगी। बयना में कहा गया कि प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है और इसमें दिल्ली भर में उपयुक्त प्रमुख सरकारी स्कूलों की पहचान करना शामिल होगा।

शिवाजी कॉलेज में यह कार्यक्रम कारगिल युद्ध में भारत की जीत के 25 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। सूद ने कहा कि शहीद पूर्व छात्रों की बहादुरी को अगली पीढ़ी को शिक्षित करने के तरीके में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी राष्ट्र उन लोगों को याद किए बिना आगे नहीं बढ़ सकता जिन्होंने इसके लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। इस स्कूल नामकरण पहल के माध्यम से हमारा उद्देश्य स्मृति को शिक्षा में बदलना है।

वर्तमान में दिल्ली के सरकारी स्कूलों के नाम मुख्यतः केंद्र या राज्य द्वारा संचालित योजनाओं के माध्यम से रखे जाते हैं, जो अक्सर किसी स्थानीय नायक के बजाय राष्ट्रीय हस्तियों के सम्मान में रखे जाते हैं। उदाहरण के लिए, केंद्र की प्रमुख योजना के अंतर्गत आने वाले स्कूलों के नाम में “पीएम श्री” उपसर्ग लगा होता है। 2025-26 के राज्य बजट में दिल्ली सरकार ने अपनी मॉडल स्कूल पहल के तहत “सीएम श्री स्कूल” शुरू करने की घोषणा की।

‘मैं धार्मिक नहीं हूं…’, कुंभ, गणपति विसर्जन, छठ पूजा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ओका का बड़ा बयान

अप्रैल 2022 में तत्कालीन आप सरकार ने सभी राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालयों (आरपीवीवी) का नाम बदलकर डॉ. बीआर अंबेडकर विशिष्ट उत्कृष्टता विद्यालय कर दिया। इस वर्ष शिक्षा विभाग ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर कम से कम 100 भाषा प्रयोगशालाएं स्थापित करने की योजना की भी घोषणा की।

अब तक, शिक्षण संस्थानों का नाम बदलने का काम ज़्यादातर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ही हुआ है। 2016 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने छात्रों द्वारा समर्थित एक प्रस्ताव के बाद अपने केंद्रीय पुस्तकालय का नाम बदलकर डॉ. बी.आर. अंबेडकर के नाम पर रखा था। हालांकि अन्य विश्वविद्यालयों में कुछ सेमिनार हॉल और केंद्रों का नाम बदला गया है, लेकिन दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अब तक ऐसी कोई पहल नहीं देखी गई है। वहीं, दिल्ली की रेखा सरकार ने पुराने वाहनों पर प्रतिबंध को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं। पढ़ें…पूरी खबर।