Delhi Government: दिल्ली की रेखा सरकार ने कश्मीरी हिंदू प्रवासियों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने गुरुवार को घोषणा की कि दिल्ली सरकार ने पंजीकृत कश्मीरी हिंदू प्रवासियों के लिए 3,250 रुपये मासिक भत्ते के लिए निर्धारित 26,800 रुपये प्रति माह की आय सीमा को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही, राजधानी में रहने वाले इन 1,800 प्रवासियों में से प्रत्येक को उनकी आय चाहे जो भी हो, लगभग 39,000 रुपये वार्षिक मासिक वित्तीय भत्ता मिलेगा।

मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि राहत दान नहीं है, यह ऐतिहासिक विस्थापन से उत्पन्न एक उचित अधिकार है, और इसे मानवीय आधार पर प्रदान किया जाना चाहिए।

सीएम रेखा गुप्ता ने आगे कहा कि यह निर्णय न केवल राहत वितरण प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाएगा, बल्कि इसे जम्मू -कश्मीर में पहले से लागू प्रावधानों के अनुरूप भी बनाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन परिवारों ने अपना घर, ज़मीन और पहचान खो दी, लेकिन राष्ट्र या अपनी संस्कृति के प्रति अपनी आस्था से कभी समझौता नहीं किया। तीन दशकों से भी ज़्यादा समय तक दिल्ली ने उन्हें आश्रय दिया। अब हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें सम्मान और सुरक्षा भी दें।

बयान के अनुसार, सरकार ने एक ‘विशेष अवसर योजना’ भी शुरू की है। इसके तहत परिवारों को अपने सदस्यों का विवरण अपडेट करने का एक बार मौका दिया जाएगा। बयान में कहा गया है कि अब बिना किसी जुर्माने या पिछले भुगतानों की वसूली के रिकॉर्ड दुरुस्त किए जा सकेंगे। जिससे पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित होगी। सरकार ने यह भी घोषणा की कि सितंबर तक के सभी लंबित बकाया बिना किसी देरी के चुका दिए जाएंगे।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि कश्मीरी हिंदू परिवार तीन दशकों से भी ज़्यादा समय से अपने घरों से दूर रहने को मजबूर हैं। यह कदम उम्मीद की एक नई किरण लेकर आया है। राहत वितरण को सरल बनाया गया है। जिसमें आय सीमा हटाना भी शामिल है और भुगतान जल्द ही शुरू हो जाएगा।। 1990 के दशक की शुरुआत को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हज़ारों कश्मीरी हिंदू आतंकवाद के कारण अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए और उन्हें दिल्ली और एनसीआर में बसाया गया।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार उन्हें अस्थायी मासिक राहत भत्ते के ज़रिए मदद कर रही थी। लेकिन आय सीमा जैसे कठोर नियमों और पारिवारिक रिकॉर्ड अपडेट करने में आने वाली कठिनाइयों के कारण उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। नतीजतन, पिछले डेढ़ साल से कोई भत्ता जारी नहीं किया गया है।

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