अनामिका सिंह
बाढ़ प्रभावित हरेक व्यक्ति की अपनी अलग परेशानियां हैं लेकिन इन सबके बीच जो सबसे अधिक प्रभावित हैं वो बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चियां हैं। सड़क किनारे अपने जीवन को बसर करने का मलाल इनके मन के अंदर है, वहीं रोजमर्रा की जरूरतों को लेकर घोर चिंता भी। उसमें भी सबसे बड़ी समस्या है शौचालय, जिसका इंतजाम यहां नहीं किया गया है।
मयूर विहार एक्सटेंशन मेट्रो स्टेशन के नीचे अपने कई बच्चों के साथ डेरा जमाए करीब बीस दिनों से रहने वाली प्रीति ने बताया कि शौच नहीं होने की वजह से महिलाओं व बच्चियों को नाले के पास शौच के लिए सुबह अंधेरे में उठकर जाना पड़ता है।
वहीं पूरे दिन रात होने का इंतजार करना पड़ता है कि अंधेरा हो तो शौच के लिए जा सकें। इससे कई बच्चियां व महिलाएं बीमार पड़ गई हैं। सबसे ज्यादा परेशानी माहवारी के दौरान हो रही है। पैसा नहीं है इसलिए पैड नहीं खरीद सकते और साफ कपड़ा है नहीं। उन्होंने बताया कि एक दिन कुछ महिलाएं पैड बांट रही थीं लेकिन सिर्फ 10-20 महिलाओं को देकर चली गईं। सरकार को चाहिए कि यहां शौचालय का इंतजाम करवाए व पैड बंटवाए वरना महिलाएं बीमार हो जाएंगी।
हमारे पास दो भैंस हैं और इनका दुद हम बेचते हैं। लेकिन जब हमारे पास ही खाने को कुछ नहीं है तो इन भैंसों को कहां से दें। चारा ना मिलने से भैंसे भी दूध पूरा नहीं दे रही है। थोड़ा बहुत पेड़ों की पत्तियों को खिलाकर इन्हें जिंदा रखा हुआ है। – रुबी
मयूर विहार स्थित दिल्ली सरकार के स्कूल में कक्षा छह में पढ़ने वाली छात्रा फिजा ने बताया कि बाढ़ में बैग भीग गया है। स्कूल बंद हैं, पैसे भी नहीं है कि नया ले सकें। वहीं नाले पर शौच जाना पड़ता है, बहुत डर लगता है कि कहीं कोई कीडा या सांप ना काट ले। – फिजा
स्कूल में पानी भरने से उसे बंद कर पर दिया गया है। पूरा दिन राशन के लिए घंटों लाइन में लगकर बीत जाता है। स्कूल खुला रहता था तो कम से कम एक वक्त का खाना तो ‘ मिड डे मिल’ के रूप में मिल जाता था। अब तो कभी राशन मिलता है कभी नहीं। – रोशनी