Delhi Excise Policy Case: दिल्ली के कथित शराब घोटाले से जुड़े केस में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी द्वारा आरोपी बनाए गए दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सोसिदया को आज एक बार फिर झटका लगा और ईडी की दलीलों के चलते राउज एवेन्यू कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। सिसोदिया को 18 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। इसके चलते सवाल उठने लगे हैं कि जब इसी केस में संजय सिंह को जमानत की राहत मिल गई तो आखिर सिसोदिया की जमानत का रोड़ा क्या है?

हाल ही में आप नेता और राज्य सभा सांसद संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी और खास बात यह है कि उनकी याचिका का ईडी द्वारा भी कुछ ज्यादा विरोध नहीं किया गया था। संजय सिंह की जमानत के बाद सिसोदिया को भी जमानत की उम्मीद जगी थी। उन्होंने कोर्ट में सुनवाई से ठीक एक दिन पहले एक चिट्ठी भी जारी की थी, जिसमें दावा किया था कि वे जल्द ही बाहर आएंगे लेकिन आज कोर्ट ने उनकी बेल याचिका खारिज कर दी।

मनीष सिसोदिया दिल्ली की विवादित आबकारी नीति से जुड़े मामले में ईडी द्वारा आरोपी बनाए गए हैं। ईडी का कहना है कि सिसोदिया उस नीति को बनाने के लिए जिम्मेदार है, जिसके जरिए भ्रष्टाचार हुआ। ईडी ने अपनी दलीलों के जरिए एक बार फिर सिसोदिया की जमानत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

ट्रायल में देरी के लिए लगातार हो रहे आवेदनों का बताया जिम्मेदार

दरअसल, ईडी के विशेष वकील ज़ोहेब हुसैन ने राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि मुकदमें देरी की सबसे बड़ी वजह भी सिसोदिया द्वारा लगातार जमानत की मांग करना है। उन्होंने कहा कि ट्रायल में देरी आरोपी के कारण हो रही है, न कि अभियोजन पक्ष के कारण समस्या आ रही है। उन्होंने कहा कि करीब 90 से ज्यादा आवेदन दायर किए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट पहले खारिज कर चुका है कई याचिका

आज कोर्ट ने सुबह सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 18 अप्रैल तक बढ़ा दी और वह 10 अप्रैल को उनकी जमानत याचिका पर आगे की दलीलें सुनेगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करने के कुछ महीने बाद उनके वकील ने राउज एवेन्यू कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। ईडी ने तब शीर्ष अदालत से कहा था कि वह अगले छह से आठ महीनों में सुनवाई पूरी कर लेगी। लगभग छह महीने बीत चुके हैं, और मामला अभी भी दस्तावेजों की जांच के लिए सूचीबद्ध है और उत्पाद शुल्क नीति मामले में अभी भी आरोप तय नहीं किए गए हैं।

सिसोदिया के बिना नहीं हो सकती थी मनी लॉन्ड्रिंग

ईडी के वकील ने सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध करते हुए यह भी कहा कि एक्साइज पॉलिसी केस में मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध सिसोदिया के बिना संभव नहीं हो सकता था। ईडी के आरोपों के मुताबिक, थोक वितरकों ने 581 करोड़ रुपये की निश्चित फीस हासिल की थी क्योंकि नई पॉलिसी में कमीशन 5 से बढ़कर 12 परसेंट हो गया था। वहीं बाद में इसे खत्म कर दिया गया था। थोक विक्रेताओं द्वारा कमाए गए बड़े मुनाफे के चलते ही सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में पूर्व डिप्टी सीएम की याचिका खारिज की थी। ईडी का कहना है कि य अतिरिक्त मुनाफा करीब 338 करोड़ रुपये का था।

ईडी के वकील ने यह भी तर्क दिया है कि अपराध के सबूत नष्ट कर दिए गए। वकील जोहेब हुसैन ने कहा कि विजय नायर, सिसदिया के निर्देशों के तहत और पूरे विश्वास के साथ काम कर रहा था।