एक व्यक्ति की आंख में गोली लगने के मामले में दिल्ली की कोर्ट ने पुलिस को लताड़ लगाते हुए कहा कि केस की जांच मजाक की तरह से की गई। कोर्ट ने भजनपुरा थाने के एसएचओ, स्टाफ पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगा फाइल पुलिस आयुक्त के पास भेज दी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस ने ललिता कुमारी केस में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के फैसले की पूरी तरह अनदेखी की।
मामले के अनुसार उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को हुए दंगों में घोंडा निवासी मोहम्मद नासिर की आंख में गोली लग गई थी। उसने पुलिस को दी शिकायत में नरेश त्यागी, सुभाष त्यागी, उत्तम त्यागी, सुशील, नरेश गौड़ पर गोली चलाने का आरोप लगाया था। पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया तो उसने कोर्ट में दरखास्त दे दी। अक्टूबर 2020 में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने उसकी याचिका पर 24 घंटे के भीतर केस दर्ज करने का आदेश दिया।
दिल्ली पुलिस ने रिवीजन पटीशन में कोर्ट के बताया कि इस मामले में पहले ही केस दर्ज किया जा चुका है। इसमें लिखा था कि नासिर, सात अन्य लोगों को गोली लगी। पुलिस ने अपने जवाब में कहा कि आरोपियों के बारे में पड़ताल की गई पर वो बेकसूर निकले।
दिल्ली की कोर्ट के एडीजे विनोद यादव ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस ने जो थ्योरी पेश की वो काल्पनिक है। पुलिस ने उत्तरी घोंडा में हुए अपराध के बारे में 25 फरवरी को केस दर्ज किया। इसमें वारदात की जगह मोहनपुर मौजपुर दर्शाई गई। 7 लोगों को गोली लगी पर मामले में आईपीसी की धारा 307, 25 आर्म्स एक्ट का जिक्र नहीं है। पुलिस ने केस डायरी तक ठीक से नहीं भरी।
दिल्ली दंगे में यूएपीए के तहत गिरफ्तार तसलीम को राहत
दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की साजिश के मामले में यूएपीए के तहत गिरफ्तार तसलीम अहमद को सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन की अनुमति दी है। एडीजे अमिताभ रावत ने तिहाड़ जेल अधीक्षक को अहमद का इलाज बेहतर सरकारी अस्पताल में कराने का निर्देश दिया।
आरोपी के वकील ने अदालत को बताया कि भले ही उनके मुवक्किल का जेल में इलाज चल रहा है, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल रही है। उन्हें गंभीर संक्रमण होने का खतरा है। उन्होंने दलील दी कि आरोपी को दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल को छोड़ किसी और अस्पताल में सर्जरी कराने की अनुमति दी जाए।

