राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने पिछले महीने जामा मस्जिद में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान लोगों को भड़काने के आरोपी भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को मंगलवार (21 जनवरी, 2020) को जमानत की शर्तो में थोड़ी ढील दी है। कोर्ट ने अपनी 16 जनवरी की जमानत की शर्तों में बदलाव करते हुए कहा कि भीम आर्मी चीफ चिकित्सा और चुनाव के उद्देश्य से दिल्ली आ सकते हैं। हालांकि कोर्ट ने कहा कि उन्हें दिल्ली में अपनी यात्रा कार्यक्रम की जानकारी डीसीपी (अपराध शाखा) को देनी होगी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने आजाद की जमानत के आदेश में बदलाव करते हुए यह निर्देश दिए।
तीस हजारी अदालत ने कहा, ‘लोकतंत्र में चुनाव सबसे बड़ा उत्सव होता है और लोगों को इसमें अधिक से अधिक भाग लेना चाहिए। इसलिए यह उचित है कि भीम आर्मी चीफ को भी उसमें शामिल होने की अनुमति दी जाए।’ साथ ही अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि चुनाव आयोग से इस बात की पुष्टि करें और मंगलवार तक रिपोर्ट दें कि दिल्ली में आजाद का कार्यालय एक राजनीतिक दल का दफ्तर है या नहीं।
अदालत आजाद द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने जमानत आदेश की शर्तों में संशोधन का अनुरोध किया था। आजाद को उनके खिलाफ 20 दिसंबर को दरियागंज इलाके में हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा के सिलसिले में मामला दर्ज किया गया था।
उल्लेखनीय है कि चंद्रशेखर आजाद को पिछले सप्ताह इस शर्त के साथ जमानत दी गई थी कि वो वो अगले चार सप्ताह तक दिल्ली में नहीं आएंगे। अदालत ने इसके साथ ही कहा कि भीम आर्मी चीफ अगले एक महीने तक किसी धरना प्रदर्शन में भी शामिल नहीं होंगे।
जमानत की इन्हीं शर्तो के खिलाफ आजाद ने बीते शुक्रवार को कोर्ट में याचिका दाखिल कर जमानत की शर्तों में बदलाव करने की मांग की थी। उन्होंने दावा किया जमानत में जो शर्ते लगाई गईं हैं वो गलत और अलोकतांत्रिक हैं। याचिका में आजाद के स्वास्थ्य का भी हवाला दिया गया। इसमें कहा गया कि दिल्ली के एम्स में भीम आर्मी चीफ का इलाज चल रहा है। इसलिए इमरजेंसी की स्थिति में राष्ट्रीय राजधानी में आने के लिए दिल्ली पुलिस की अनुमति लेना खासा मुश्किल होगा।