दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ‘बड़ी जिम्मेदारी’ दे सकती है। बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य रह चुकीं रेखा गुप्ता को संगठन के कार्यों का भी अच्छा अनुभव है।

रेखा गुप्ता वर्तमान समय में बीजेपी से संबंध रखने वाली एकमात्र महिला मुख्यमंत्री हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें बिहार विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं पर फोकस करने वाले प्रचार अभियान की अगुवाई के लिए तैयार कर रही है।

महिला मतदाताओं पर केंद्रित नैरेटिव को मजबूत करने का प्रयास

बीजेपी की यह कोशिश है कि वह बिहार में महिला मतदाताओं पर केंद्रित चुनावी नैरेटिव को और मजबूत कर सके। पार्टी रेखा गुप्ता के जरिए बीजेपी महिला सशक्तिकरण की प्रतीक के रूप में पेश करना चाहती है। पार्टी का मानना है कि उनकी छवि और प्रशासनिक अनुभव बिहार में महिला वोटरों को जोड़ने में मदद करेगा।

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सूत्र बताते हैं कि बीजेपी बिहार के कई जिलों में महिला जनसभाएं और संवाद कार्यक्रम करेंगी। पार्टी चाहती है कि उनके नेतृत्व में भाजपा का “नारी शक्ति, राष्ट्र शक्ति” संदेश अधिक प्रभावी ढंग से पहुंचे। बीजेपी का यह कदम न सिर्फ बिहार की चुनावी रणनीति को नया आयाम देगा बल्कि महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक बड़ा संकेत माना जा रहा है।

बिहार एनडीए में हुआ सीटों का बंटवारा

कई दिनों की गहन चर्चा और मंथन के बाद रविवार को बिहार की सत्ता में काबिज एनडीए में सीटों का बंटवारा हो गया। इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू और बीजेपी दोनों बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। सीट शेयरिंग फॉर्मूला के तहत, इस बार विहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जदयू दोनों ही पार्टियां 101-101 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी जबकि लोजपा (राम विलास) 29 सीटों पर पर ताल ठोकेगी।

अन्य दो दलों जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और राज्यसभा सदस्य उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को छह-छह सीट दी गई हैं। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा को मिली सीटों से जीतन राम मांझी पूरी तरह संतुष्ट नजर नहीं आये। वह पहले “कम से कम 15 सीट” की मांग कर रहे थे, ताकि उनकी पार्टी को विधानसभा में “मान्यता प्राप्त दल” का दर्जा मिल सके।

पटना पहुंचने पर उन्होंने पत्रकारों से कहा, “हाई कमान ने जो फैसला किया है, उसे हमने स्वीकार कर लिया। लेकिन हमें केवल छह सीट देकर हमारी ताकत को कम करके आंका गया है। इसका नुकसान राजग को चुनाव में उठाना पड़ सकता है।” हालांकि मांझी ने यह भी दोहराया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ “आखिरी सांस तक” रहेंगे।

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