Delhi Services Bill: सोमवार को राज्यसभा में 6 घंटे तक बहस के बाद आखिरकार दिल्ली सेवा बिल पास हो गया है। दिल्ली सेवा बिल के समर्थन में 131 वोट पड़े वहीं इसके खिलाफ 102 वोट पड़े। कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन ने सदन में दिल्ली सेवा बिल का समर्थन किया है। वहीं सदन के बाहर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने पार्टी लाइन से अलग हटकर दिल्ली सेवा बिल पर बयान दिया है। उन्होंने अरविंद केजरीवाल को नसीहत देते हुए कहा कि अगर वह केंद्र सरकार के साथ हर छोटी बात पर नहीं झगड़ते तो मोदी सरकार यह बिल नहीं लाती।

केजरीवाल पर लगाए कई आरोप

सोमवार देर रात राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पास होने के बाद संदीप दीक्षित ने सोशल मीडिया पर वीडियो संदेश जारी कर कहा कि अगर अरविंद केजरीवाल सेवाओं के नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार से झगड़ते नहीं तो सरकार इस तरह का बिल कभी नहीं लाती। उन्होंने कहा कि एक समय था जब दिल्ली में केंद्र और दिल्ली सरकार आपसी तालमेल से सरकार चलाया करती थी। दिल्ली में सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन दुर्भाग्यवश 2014 में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार आ गई और उन्होंने केंद्र से शक्ति को लेकर लड़ना शुरू कर दिया और लोगों के हित को भूल गए। इसलिए केंद्र यह बिल लेकर आने को मजबूर हुआ है। नहीं तो दिल्ली में इस तरह के बिल की कोई जरुरत नहीं थी।

उन्होंने कहा कि अब अरविंद केजरीवाल दिल्ली में काम करने के बजाए बस राजनीति करते रहते हैं। अब मुझे उम्मीद है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली शहर के विकास के लिए काम करेंगे। राज्यसभा में बिल पास होने के बाद संदीप दीक्षित ने कहा कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली की जनता को मूर्ख बना रहे हैं।

वोटिंग के दौरान जयंत चौधरी रहे नदारद

बता दें कि लोकसभा में पिछले सप्ताह इस बिल को पास होने के बाद राज्यसभा में बिल पेश किया गया था। कांग्रेस सहित इंडिया गठबंधन के 102 सांसदों ने दिल्ली सेवा बिल के खिलाफ वोट दिए। वहीं बिल के समर्थन में एनडीए गठबंधन के साथ-साथ वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी के सांसदों ने भी इस बिल का समर्थन किया है। इंडिया गठबंधन के सांसद आरएलडी के प्रमुख जयंत चौधरी बिल पर वोटिंग के समय संसद से नदारद दिखे। इसके बाद से ही अटकलें लगाई जाने लगी कि इंडिया गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निरस्त करने के लिए और दिल्ली सरकार के शक्तियों को कम करने के लिए दिली सेवा अध्यादेश लाई थी। अब इस अध्यादेश को संसद में बिल के रूप में पास किया गया है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई चल रही है।