देश की राजधानी दिल्ली में फर्जी वकीलों का एक गैंग चल रहा है। दिल्ली बार काउंसिल (BCD) ने सोमवार को एक कोर्ट को बताया और BCD में एनरोलमेंट के लिए कथित फर्जी डिग्रियों के इस्तेमाल पर चिंता जताई। एडवोकेट राजपाल कसाना ने BCD की ओर से साकेत कोर्ट की एडिशनल सेशंस जज शुनाली गुप्ता को बताया, “2023 से अब तक दिल्ली में वकीलों की फर्जी डिग्रियों के संबंध में 160 FIR दर्ज हुई हैं। BCD ने ये FIR दर्ज करवाई हैं। दिल्ली में नकली वकीलों का एक गैंग चल रहा है। यह एक नेक्सस है। फर्जी डिग्रियों के आधार पर वे एनरोलमेंट करवा रहे हैं।”

सिर्फ 1 लाख वकीलों का हुआ है वेरिफिकेशन

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार BCD में एनरोल करीब 2 लाख वकीलों में से सिर्फ 1 लाख से कुछ ज़्यादा का ही वेरिफिकेशन हुआ है। 90,000 से ज़्यादा वेरिफिकेशन पेंडिंग हैं क्योंकि यूनिवर्सिटीज़ ने BCD को जवाब नहीं दिया है। ये बातें सोमवार को BCD ने तब कहीं जब ASJ शुनाली गुप्ता तमिलनाडु के रहने वाले जे वासंथन की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थीं, जिन पर BCD में एनरोलमेंट के लिए करीब 1.5 लाख रुपये की रिश्वत देने का आरोप है।

वासंथन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज से LLB की डिग्री होने का दावा करते हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि दिल्ली के वकील अरविंद पंचाल और BCD के कर्मचारी जगदीश यादव ने कथित तौर पर उनसे एनरोलमेंट के लिए 1.45 लाख रुपये मांगे थे। फिलहाल, BCD में एनरोलमेंट फीस सिर्फ 750 रुपये है।

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वासंथन के वकील ने कहा, “मेरे सभी डॉक्यूमेंट अरविंद पंचाल और जगदीश यादव ने बदल दिए थे। मैं यहां पीड़ित हूं। मैंने BCI में शिकायत की थी। मैंने स्वेच्छा से अपना (प्रैक्टिस करने का) सर्टिफिकेट भी सरेंडर कर दिया था। वासंथन ने 2023 में BCD में एनरोलमेंट करवाया था और उन्हें 18 सितंबर को जाली लॉ डिग्री और फर्जी मार्कशीट के कारण सस्पेंशन के बारे में बताया गया था। नवंबर में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने स्टेट बार काउंसिल को लिखकर उन्हें हटाने का निर्देश दिया, जिसके बाद उनका लाइसेंस सस्पेंड कर दिया गया।

वासंथन ने कहा कि जब मुझे अपने सस्पेंशन के बारे में पता चला तो मैंने तुरंत BCI में शिकायत की। मेरे जो सर्टिफिकेट इस्तेमाल किए गए थे, वे नकली थे। मेरे साथ धोखा हुआ है। एडवोकेट नीरज BCD की तरफ से भी पेश हुए। उन्होंने कहा, “सभी डिग्रियों को यूनिवर्सिटी से बात करने के बाद बार काउंसिल वेरिफाई करती है। हमने उसकी LLB डिग्री बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी भेजी थी। उन्होंने कहा कि यह फर्जी है। यहां एक बड़ा नेक्सस चल रहा है। वह हिंदी नहीं बोल सकता, लेकिन उसने जो डॉक्यूमेंट्स दिए थे, वे हिंदी में थे। उससे पूछताछ किए बिना यह घोटाला सामने नहीं आएगा। उसने खुद कहा कि 1 लाख रुपये मांगे गए थे।”

एडवोकेट कसाना और नीरज के साथ एडवोकेट नरेंद्र शर्मा भी BCD की तरफ से पेश हुए और उन्हें एडवोकेट सौरभ कुमार और मारूफ खान ने मदद की। वासंथन ने दलील दी कि उन्होंने उत्तर प्रदेश स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज के ओरिजिनल डॉक्यूमेंट्स दिए थे, न कि बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी के। जज ने पूछा, “आपकी BCI से क्या शिकायत थी। यह कॉलेज जिससे आपने लॉ किया है, क्या वह BCI से मान्यता प्राप्त है या नहीं?” उन्होंने जवाब दिया कि एडमिशन के समय, यूनिवर्सिटी की मान्यता से जुड़ा मामला कोर्ट में विचाराधीन था, लेकिन बाद में यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन ने यूनिवर्सिटी को मान्यता देने से मना कर दिया था। इसके बाद जज ने अग्रिम जमानत खारिज करते हुए कहा तो इसका मतलब है कि UGC के अनुसार यूनिवर्सिटी द्वारा दी गई कोई भी डिग्री मान्यता प्राप्त नहीं होगी। पढ़ें दिल्ली के जज को सुबह 2:25 बजे अपने आवास पर क्यों करनी पड़ी सुनवाई?

जज ने क्या कहा?

जज ने अपने आदेश में कहा, “बहस के दौरान, माननीय वकील ने स्वीकार किया कि उन्होंने बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से लॉ में ग्रेजुएशन नहीं किया है, बल्कि भारतीय शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश से पढ़ाई की है और आज की तारीख में इसे शिक्षा विभाग द्वारा यूनिवर्सिटी से संबद्ध और लॉ डिग्री देने के लिए मान्यता प्राप्त नहीं है। सभी तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए और न केवल आवेदक के खिलाफ बल्कि जांच में नामित अन्य लोगों के खिलाफ गंभीर आरोपों को ध्यान में रखते हुए (जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बार काउंसिल में नामांकन की सुविधा के लिए एक सिंडिकेट चलाते हैं) इसके पीछे की साजिश का पता लगाने और सिंडिकेट के अन्य सदस्यों तक पहुंचने के लिए, आवेदक से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता हो सकती है।”

पिछले महीने BCD कर्मचारी जगदीश यादव को इस मामले में 23 दिसंबर तक अंतरिम सुरक्षा दी गई थी। 23 नवंबर को BCD सेक्रेटरी कर्नल अरुण शर्मा की शिकायत के आधार पर हौज खास पुलिस स्टेशन में जगदीश यादव और अरविंद पांचाल के खिलाफ FIR दर्ज की गई। FIR के अनुसार जगदीश यादव ने कथित तौर पर जाली LLB डिग्री और मार्कशीट के आधार पर वासंथन को BCD में एडमिशन दिलाने के लिए उससे बड़ी रकम की मांग की और ली।