सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को 2020 में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प के बाद भारतीय सेना के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणियों के लिए फटकार लगाई। अदालत ने कांग्रेस नेता से कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर आप सच्चे भारतीय होते तो ये सब बातें नहीं कहते।
शीर्ष अदालत ने भारत जोड़ो यात्रा से संबंधित आपराधिक मानहानि मामले में कार्यवाही पर तीन हफ्ते की रोक लगा दी, वहीं झारखंड के चाईबासा में एक एमपी-एमएलए अदालत ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ 2018 में उनकी टिप्पणी से संबंधित एक अलग मामले में जमानत दे दी। पिछले कुछ सालों में, राहुल गांधी को कई आपराधिक मानहानि के मामलों का सामना करना पड़ा है। आइए उनके खिलाफ दायर बड़े मुकदमों पर एक नजर डालते हैं।
वीडी सावरकर मानहानि मामला
इस साल जनवरी में, राहुल गांधी ने पुणे की एक एमपी-एमएलए कोर्ट में हिंदुत्व विचारक वीडी सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में खुद को निर्दोष बताया। 12 अप्रैल, 2023 को दायर की गई इस शिकायत में आरोप लगाया गया था कि राहुल गांधी ने लंदन में दिए एक भाषण में दावा किया था कि सावरकर और उनके दोस्तों ने एक मुसलमान की पिटाई की और वे इससे खुश थे। सत्यकी ने दावा किया कि सावरकर ने ऐसी कोई किताब नहीं लिखी और न ही ऐसी कोई घटना कभी हुई। उन्होंने भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत अधिकतम सजा की मांग की।
सावरकर से जुड़ा एक और मामला
नवंबर 2022 में, वंदना डोंगरे ने राहुल गांधी की कथित टिप्पणी पर मानहानि की शिकायत दर्ज की जिसमें उन्होंने कहा था कि सावरकर ने ‘डर के मारे’ अंग्रेजों को दया याचिकाएं लिखीं, जिससे महात्मा गांधी और सरदार पटेल जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को धोखा मिला।
अमित शाह के खिलाफ किस बयान की वजह से राहुल गांधी पर दर्ज हुआ था केस?
मोदी उपनाम मामला
अगस्त 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने सूरत की एक अदालत द्वारा राहुल गांधी को दोषी ठहराए जाने पर रोक लगा दी, जिसने उन्हें 2019 में ‘मोदी’ उपनाम पर की गई टिप्पणी के लिए दो साल कैद की सजा सुनाई थी। ये टिप्पणियां लोकसभा चुनाव से पहले कोलार में एक रैली में की गई थीं। यह मामला भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने दायर किया था। दोषसिद्धि के बाद, राहुल को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था लेकिन शीर्ष अदालत द्वारा रोक लगा दी गई थी। इसके कुछ ही समय बाद भाजपा नेता सुशील मोदी ने भी इसी मुद्दे पर पटना की एक अदालत में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया।
राहुल गांधी ने आरएसएस को कहा था ’21वीं सदी के कौरव’
हरिद्वार की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया है, जिसमें उन्होंने कुरुक्षेत्र में अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान आरएसएस को कथित तौर पर “21वीं सदी के कौरव” कहा था। यह शिकायत आरएसएस के स्वयंसेवक कमल भदौरिया ने दर्ज कराई थी।
वहीं, 2014 में राजेश कुंटे ने खुद को आरएसएस कार्यकर्ता बताते हुए ठाणे के भिवंडी में शिकायत दर्ज कराई थी जब राहुल ने एक रैली में कथित तौर पर कहा था कि महात्मा गांधी की हत्या आरएसएस से जुड़े लोगों ने की थी। राजेश ने आरोप लगाया था कि यह टिप्पणी आरएसएस की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से की गई थी।
राहुल गांधी का दावा: महाराष्ट्र चुनाव में 40 लाख संदिग्ध वोट पड़े, पढ़िए प्रेसवार्ता की 5 बड़ी बातें
RSS से जुड़ा एक और मामला
आरएसएस कार्यकर्ता अंजन कुमार बोरा ने 2016 में गुवाहाटी के कामरूप स्थित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। उन्होंने राहुल गांधी पर यह झूठा दावा करने का आरोप लगाया था कि दिसंबर 2015 में एक यात्रा के दौरान आरएसएस कार्यकर्ताओं ने उन्हें बारपेटा मठ में प्रवेश करने से रोका था, हालांकि मठ ने इस दावे का खंडन किया था।
अमित शाह के खिलाफ ‘हत्या का आरोपी’ टिप्पणी
मई 2019 में, भाजपा सदस्य कृष्णवदन ब्रह्मभट्ट ने अहमदाबाद मजिस्ट्रेट अदालत में राहुल गांधी द्वारा 2019 के आम चुनाव से पहले जबलपुर में एक रैली के दौरान अमित शाह को “हत्या का आरोपी” कहने पर मामला दायर किया था।