केंद्रीय मंत्री और गुजरात की राजकोट लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार परषोत्तम रूपाला की मुश्किलें बढ़ रहीं हैं। वजह उनका बयान है जिसमें उन्होंने राजपूत समाज का ज़िक्र किया था। जिसका बड़े पैमाने पर विरोध हुआ। बात यहां तक पहुंच गई कि उनके घर की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता तक करना पड़ गया। 

रूपाला ने कहा था कि कई क्षत्रिय शासकों ने अतीत में अंग्रेजों का साथ दिया था। इस बयान से नाराज़ लोगों ने बीजेपी से उनकी उम्मीवारी वापस लेने का अनुरोध किया और ऐसा नहीं करने पर हार के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी है।

मुश्किल में बीजेपी, क्यों बढ़ा मामला? 

यह मामला 23 मार्च को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने के साथ शुरू हुआ।  जिसमें परषोत्तम रूपाला को भाषण देते हुए सुना जा सकता है। वह 22 मार्च को राजकोट में एक दलित कार्यक्रम में अपनी बात रख रहे थे।

जहां उन्हें कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया— “दूसरे ने भी हम पर शासन किया। अंग्रेजों ने भी ऐसा ही किया और उन्होंने हमें सताने में कोई कसर नहीं छोड़ी। राजा भी झुक गये। उन्होंने उनके के साथ रोटी तोड़ी और अपनी बेटियों की शादी उनसे की। लेकिन हमारे दलित समुदाय ने न तो अपना धर्म बदला और न ही ऐसे रिश्ते बनाए, इसीलिए उनपर इतना अत्याचार हुआ।

बढ़ रहा है विरोध

परषोत्तम रूपाला के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के प्रमुख क्षत्रिय चेहरों में अखिल गुजरात राजपूत युवा संघ के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष पीटी जड़ेजा, महिला करणी सेना, गुजरात की अध्यक्ष पद्मिनीबा वाला, क्षत्रिय करणी सेना प्रमुख राज शेखावत और अध्यक्ष जे पी जड़ेजा शामिल हैं। प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि भाजपा रूपाला को अपने उम्मीदवार के रूप में वापस ले और किसी और को अपना उम्मीदवार बनाए।

रूपाला ने मांगी माफी 

जब विवाद काफी बढ़ता हुआ दिखाई दिया तो बीजेपी उम्मीदवार रूपाला ने एक वीडियो-बयान जारी कर अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगी। जिसमें लिखा–“मेरा इरादा हमारी संस्कृति और हमारे देश के खिलाफ विधर्मियों द्वारा किए गए अत्याचारों के बारे बताना था। मेरा इरादा राजपरिवारों या क्षत्रिय समुदाय को ख़राब दिखाने का बिल्कुल भी नहीं था, न ही अब है और न ही भविष्य में होगा। बहरहाल, अगर मेरे भाषण या उसके वीडियो से किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो मैं खेद व्यक्त करता हूं और ईमानदारी से माफी मांगता हूं।”

क्षत्रिय और पाटीदार समुदाय के बीच टकराव?

ऐसा माना जा रहा है कि परषोत्तम रूपाला के बयान का असर सिर्फ राजकोट ही नहीं बल्कि पूरे गुजरात में पड़ सकता है। इसलिए बीजेपी के लिए यह एक बड़ा पेचीदा मसला माना जा रहा है। क्षत्रिय समुदाय राज्य के मतदाताओं का लगभग 7% है। ऐतिहासिक तौर पर भी यहां समुदाय काफी प्रभावशाली है।

माना यह भी जा रहा है कि रूपाला के बयान ने प्रदेश में खासतौर पर क्षत्रियों और पाटीदारों के बीच जातिगत मतभेद फिर से पैदा कर दिए हैं। पहले भी दोनों समुदायों के बीच टकराव की स्थिति रही है। परषोत्तम रूपाला खुद पाटीदार समुदाय से आते हैं। ऐसे में इस बयान के बाद क्षत्रियों के साथ पाटीदारों का राजनीतिक टकराव संभव है।

लेकिन राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र त्रिवेदी ने कहा दोनों समुदायों के टकराव पर बात करते हुए कहा–“अतीत में दोनों समुदाय एक-दूसरे के खिलाफ थे। लेकिन इस मामले में कोई भी पाटीदार समूह रूपाला के समर्थन में आगे नहीं आया है। राजपूत नेता पाटीदारों के खिलाफ नहीं हैं। वे रूपाला का विरोध कर रहे हैं। मुझे यहां दोनों समूहों के बीच कोई टकराव नजर नहीं आता।’’

यह मामला इसलिए भी बढ़ गया है कांग्रेस नेताओं के बयान लगातार सामने आ रहे हैं। कांग्रेस नेता आदित्यसिंह गोहिल ने 28 मार्च को एक मजिस्ट्रेट अदालत में रूपाला के खिलाफ मानहानि की शिकायत दायर की है। जिसमें कहा गया कि उनकी टिप्पणियों ने क्षत्रिय समुदाय के सदस्य के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल किया है। राज्य युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष आदित्यसिंह ने दावा किया कि उन्होंने खुद यह मामला दर्ज कराया है।